Blogs | रवीश कुमार |शनिवार सितम्बर 28, 2019 11:36 PM IST कोई है जो मुझे बचा लेता है, किसी कहानी से भिड़ा देता है. एक बुजुर्ग ज़िंदगी के थपेड़ों से मुलायम होकर रैक के नीचे बैठे थे. नज़रें मिलीं और आगे बढ़ने ही वाला था कि ठहर गया. हाथ जोड़ा और नमस्कार किया फिर हाथ मिला लिया. जनाब उठ कर खड़े हो गए और पहले वाक्य में कहा, मैं भरत सिंह चौहान. चौहान राजपूत हूं.