'Poetry of Death'

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  • Bollywood | Written by: सुनीता हंसराज |शनिवार मार्च 23, 2024 06:17 AM IST
    बात दरअसल साल 1943 की है जब घरवालों ने आनंद बक्शी साहब को जम्मू के एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया था. परिवार का कहना था कि घर से दूर गुरुकुल में रहेगा तो पिंडी ( अब रावलपिंडी, पाकिस्तान) के वो कंजर दोस्त छूट जाएंगे
  • Blogs | Dharmendra Singh |मंगलवार मार्च 29, 2016 01:44 PM IST
    लगता है, बेचैनी चुक गई है... पहले मौत की हर ख़बर नींद पर करारा प्रहार थी, लेकिन अब सुन लेता हूं... पंचनामे का हुक्म दे डालता हूं, भूल जाता हूं... हर थाना मौत का सूचना केंद्र है... हर अख़बार मोर्चरी है... हर चैनल पोस्टमार्टम हाउस है, जहां चौबीसों घंटे लाशों की अमल-दरयाफ़्त बदस्तूर जारी है...
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