Blogs | Dharmendra Singh |मंगलवार मार्च 29, 2016 01:44 PM IST लगता है, बेचैनी चुक गई है... पहले मौत की हर ख़बर नींद पर करारा प्रहार थी, लेकिन अब सुन लेता हूं... पंचनामे का हुक्म दे डालता हूं, भूल जाता हूं... हर थाना मौत का सूचना केंद्र है... हर अख़बार मोर्चरी है... हर चैनल पोस्टमार्टम हाउस है, जहां चौबीसों घंटे लाशों की अमल-दरयाफ़्त बदस्तूर जारी है...