Zara Hatke | सूर्यकांत पाठक |रविवार अगस्त 6, 2017 08:49 AM IST यह कैसी दोस्ती है...न कोई पुराना रिश्ता, न कभी मिले...किसी दोस्त के जरिए तार जुड़े...फोटो देखा...आदतें समझीं और ...दोस्ती हो गई. कई बार तो जो चेहरा दिखाई दे रहा है वह वास्तव में नकली है और तो और यहां तक कि नाम-पता भी नकली...! जी हां... यह दोस्ती फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया की है. जब चाहा दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया...जब चाहा हाथ झटक दिया.. यहां दोस्ती जितनी आसान है, उतनी ही भरोसे की कमी है.. यह जानना मुश्किल हो सकता है कि कौन किस उद्देश्य से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है.