किसकी किस्मत कब कहां कैसे पलटी खाएगी, ये अंदाजा लगा पाना भी आसान नहीं होता. किसी की जिंदगी ऐसी होती है कि ठोकर पर ठोकर लगती चली जाती है. ये ठोकर आने वाले वक्त में रास्ते की रुकावट बनेगी या तरक्की की सीढ़ी, ये तय करना उस शख्स का काम होता है. तस्वीर में दिख रहा ये हसीन चेहरा भी ऐसे ही उतार चढ़ाव के बाद आज सियासी दुनिया का बड़ा नाम बन चुका है. ये चेहरा है स्मृति ईरानी का. जो कभी ऐसे दौर से गुजरी हैं जब उन्हें रिजेक्शन पर रिजेक्शन मिलते रहे. घर चलाने की मजबूरी ने वेट्रेस बनने को मजबूर कर दिया. लेकिन कोई भी हालात उनके जज्बे को तोड़ नहीं सका.
मिले रिजेक्शन पर रिजेक्शन
स्मृति ईरानी को शुरूआती दौर में बहुत से संघर्षों का सामना करना पड़ा. वो मिस इंडिया कॉम्पिटिशन में शिरकत करने पहुंची. उस वक्त पिता उनके इस फैसले के खिलाफ थे. मां ने जैसे तैसे पैसे जोड़े ताकि बेटी का सपना पूरा हो सके. स्मृति ईरानी कॉन्टेस्ट में खड़ी हुईं फाइनल तक पहुंची लेकिन जीत नहीं सकीं. इसके बाद घर चलाने के लिए उन्होंने एक एयरलाइन्स फ्लाइट अटेंडेंट के लिए अप्लाई किया. लेकिन वहां भी बात नहीं बनी. इसके बाद मॉडलिंग में किस्मत आजमाने की कोशिश की. थोड़ा बहुत रिस्पॉन्स मिला. लेकिन उसके बाद रिजेक्शन का ही सामना करना पड़ा. ताज्जुब की बात ये है कि जिस स्मृति ईरानी को तुलसी के किरदार ने घर घर तक पहचान दिलाई. उसी किरदार को गढ़ने वाले बालाजी प्रोडक्शन हाउस ने भी उन्हें पहले रिजेक्ट कर दिया था. इसके बाद मौका मिला और तुलसी बनने के बाद स्मृति ईरानी की तरक्की की रफ्तार भी तेज हो गई.
पढ़ाई छोड़ने पर हुईं मजबूर
स्मृति ईरानी के पिता पंजाबी और मां असमिया मूल की हैं. उनके परिवार के आर्थिक हालात कुछ बेहतर नहीं थे. उसे चलाने के लिए स्मृति ईरानी पर पढ़ाई छोड़ने का दबाव भी था. उन्होंने पढ़ाई छोड़ी लेकिन कॉरेस्पोंडेंस से आगे पढ़ने की कोशिश की. लेकिन हालात वहां भी आड़े आ गए. घर चलाने की मजबूरी इस कदर बढ़ी कि स्मृति ईरानी को वेट्रेस का भी काम करना पड़ा. तब से संघर्ष शुरू हुआ जो उन्हें पहले टीवी की दुनिया और अब सियासत की बुलंदियों तक पहुंचा चुका है.
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