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This Article is From Jul 10, 2020

Breathe Into The Shadows Review: बेतुकी कहानी, धीमी रफ्तार और कमजोर डायरेक्शन की वजह से दम तोड़ देती है 'ब्रीद 2'

Breathe Into The Shadows Review: अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) ने 'ब्रीदः इनटू द शैडोज' के साथ डिजिटल डेब्यू कर लिया है. वैसे भी इन दिनों लॉकडाउन की वजह से सारा फोकस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है.

Breathe Into The Shadows Review: बेतुकी कहानी, धीमी रफ्तार और कमजोर डायरेक्शन की वजह से दम तोड़ देती है 'ब्रीद 2'
Breathe Into The Shadows Review: जानें कैसी है अभिषेक बच्चन की ब्रीद सीजन 2
नई दिल्ली:

अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) ने 'ब्रीदः इनटू द शैडोज' के साथ डिजिटल डेब्यू कर लिया है. वैसे भी इन दिनों लॉकडाउन की वजह से सारा फोकस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है. 'ब्रीद' का पहला सीजन दर्शकों ने खूब पसंद किया गया था. इस बार अभिषेक बच्चन के आ जाने से ब्रीद सीरीज पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं. लेकिन 'ब्रीदः इनटू द शैडोज' ने निराश किया. ब्रीद सीजन 2 की धीमी गति, सीन्स को खींचने और एक्सप्रेशंस में कई जगह बड़ी चूक ने इस सीरीज का मजा किरकिरा कर दिया है. वैसे भी जब स्टार्स पर फोकस किया जाता है तो ऐसी गलतियां होना लाजिमी हो जाती हैं.

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'ब्रीदः इनटू द शैडोज (Breathe: Into The Shadows Review)' की कहानी अभिषेक बच्चन और नित्या मेनन की है. दोनों पत्नी पत्नी हैं और उनकी बेटी सिया है. एक दिन सिया का अपहरण हो जाता है. दोनों उसे ढूंढते हैं, लेकिन वह नहीं मिलती है. बहुत समय गुजर जाता है और दोनों हार मान लेते हैं. फिर एक दिन एक वीडियो आता है जिसमें उनकी बेटी के जिंदा होने का सुबूत होता है. फिर कातिल का खेल शुरू होता है, जो अभिषेक बच्चन और नित्या मेनन से कुछ करवाना चाहता है. वहीं अमित साध फिर से कबीर सावंत के किरदार हैं. कहानी बहुत स्लो चलती है, एक्सप्रेशंस दिखाने के चक्कर में सीन्स बहुत खींचे हुए लगते हैं. इसी स्पीड की वजह से कहानी का फ्लो पूरी तरह टूट जाता है. 

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'ब्रीदः इनटू द शैडोज (Breathe: Into The Shadows Review)' में अगर एक्टिंग की बात करें तो अभिषेक बच्चन, नित्या मेनन और अमित साध सभी बहुत सामान्य हैं. कुछ भी ऐसा नहीं है जो यादगार हो. अभिषेक बच्चन और नित्या मेनन भी अपने किरदारों की शार्पनेस को बीच में छोड़ जाते हैं तो वहीं अमित साध की एक्टिंग में दोहराव लगता है. इस तरह ब्रीद सीजन 2 एक्टिंग से लेकर कहानी तक के हर मोर्चे पर निराश करती है. हालांकि अभिषेक बच्चन की इस सीरीज को देखते हुए अमिताभ बच्चन की किडनैप थ्रिलर 'बेनाम' की याद आ जाती है. जिसमें भी कुछ-कुछ इसी तरह कहानी देखने को मिली थी.

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