सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. यह फैसला बालाजी के तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने और राज्यपाल द्वारा इसे मंजूर किए जाने के बाद आया है. इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि सेंथिल बालाजी अब मंत्री नहीं हैं, इसलिए इस अर्जी पर सुनवाई की जरूरत नहीं है.
तमिलनाडु सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सेंथिल बालाजी ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि बालाजी को सितंबर 2024 में जमानत देते समय यह माना गया था कि वे मंत्री नहीं हैं. हालांकि, जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने फिर से मंत्री का पदभार संभाल लिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी के आचरण को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था, "हम अपनी गलती स्वीकार करेंगे. कोर्ट से निपटने का यह तरीका नहीं है, यह बेईमानी है. आप प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहे हैं. आप तय करें कि आपको आजादी चाहिए या मंत्री पद." कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर बालाजी मंत्री बने रहते हैं, तो इससे गवाहों पर प्रभाव पड़ सकता है.
ईडी ने सेंथिल बालाजी की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी. ईडी का तर्क था कि मंत्री के रूप में उनकी स्थिति गवाहों को प्रभावित कर सकती है, जिससे जांच और सुनवाई में बाधा उत्पन्न हो सकती है. सेंथिल बालाजी पर 'कैश-फॉर-जॉब' घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप हैं, जिसमें उनकी गिरफ्तारी जून 2023 में हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 में उन्हें जमानत दी थी, लेकिन उनके फिर से मंत्री बनने के बाद यह विवाद खड़ा हो गया था.