'कड़वी हवा' में रणवीर शौरी और संजय मिश्रा
नई दिल्ली:
रेटिंगः 4 स्टार
डायरेक्टरः नीला माधव पांडा
कलाकारः संजय मिश्रा और रणबीर शौरी
फिल्म ‘कड़वी हवा’ की कहानी एक गांव की है जहां सूखा पड़ा है. किसानों की खेती बारिश की कमी की वजह से बर्बाद हो चुकी है. किसान कर्ज तले दबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं. इस क्षेत्र में बैंक की तरफ से कर्ज वसूली के लिए एजेंट आता है जिसे वहां के लोग यमदूत बोलते हैं क्योंकि जब-जब वो गांव में आता है कोई न कोई अपनी जान दे देता है. ऐसे में एक दिव्यांग पिता अपने बेटे मुकुंद को बैंक के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए उस एजेंट से कुछ अनोखी डील कर लेता है, इस डर से कि कहीं ये ‘कड़वी हवा’ उसे भी न निगल ले. दिव्यांग पिता के रोल में संजय मिश्रा हैं और वसूली एजेंट के रोल को निभाया है रणवीर शौरी ने.
‘आई एम कलाम’ जैसी फिल्म बना चुके निर्देशक नीला माधव पांडा ने फिल्म ‘कड़वी हवा’ का निर्देशन किया है और फिल्म में दिखाने की कोशिश की है कि हवा वाकई कड़वी हो चुकी है. हमने अपने पर्यावरण को खराब किया है जिसकी वजह से हवा का रुख बदल गया है. कहीं तो सूखा पड़ रहा है और कहीं इतनी बारिश है कि लोग बाढ़ में मर रहे हैं. एक बार फिर नीला माधव पांडा ने बेहतरीन तरीके से फिल्म बनाई है जिसे देखकर लगता है कि हम उस गांव के हिस्सा हैं. फिल्म बहुत ही रियलिस्टिक ढंग से बनाई गई है. गरीबों और किसानों के रहन-सहन, उनकी मजबूरी को बड़ी सच्चाई से परदे पर उतरा गया है. फिल्म में रणवीर शौरी आपको विलेन लगेंगे मगर जब उनकी मजबूरी फिल्म में देखेंगे तो वो भी आपका दिल छु लेगी. रणवीर और संजय ने अपने अपने किरदारों में जान डाली है.
गोलमाल फिल्म करने के बाद ढाबे पर काम करने लगा था ये एक्टर, जानिए कैसे बदली LIFE
इस फिल्म की एक और खास बात यह है कि इसमें जबरदस्ती का मनोरंजन या नाच गाना डालने की कोशिश नहीं है. शुरू से अंत तक विषय पर गंभीरता बनी हुई है. ये एक आर्टिस्टिक फिल्म है जिसमे मनोरंजन के मसाले नहीं मिलेंगे फिर भी इसे आपको देखनी चाहिए क्योंकि ये फिल्म आपको बताती है कि पर्यावरण को हमारी जरूरत है और इसे बचाने कि जिम्मेदारी हमारी है. इस फिल्म में कोई स्टार या मसाला नहीं है मगर मौजूदा हालात में ऐसी फिल्म की बहुत सख्त जरूरत है.
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डायरेक्टरः नीला माधव पांडा
कलाकारः संजय मिश्रा और रणबीर शौरी
फिल्म ‘कड़वी हवा’ की कहानी एक गांव की है जहां सूखा पड़ा है. किसानों की खेती बारिश की कमी की वजह से बर्बाद हो चुकी है. किसान कर्ज तले दबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं. इस क्षेत्र में बैंक की तरफ से कर्ज वसूली के लिए एजेंट आता है जिसे वहां के लोग यमदूत बोलते हैं क्योंकि जब-जब वो गांव में आता है कोई न कोई अपनी जान दे देता है. ऐसे में एक दिव्यांग पिता अपने बेटे मुकुंद को बैंक के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए उस एजेंट से कुछ अनोखी डील कर लेता है, इस डर से कि कहीं ये ‘कड़वी हवा’ उसे भी न निगल ले. दिव्यांग पिता के रोल में संजय मिश्रा हैं और वसूली एजेंट के रोल को निभाया है रणवीर शौरी ने.
‘आई एम कलाम’ जैसी फिल्म बना चुके निर्देशक नीला माधव पांडा ने फिल्म ‘कड़वी हवा’ का निर्देशन किया है और फिल्म में दिखाने की कोशिश की है कि हवा वाकई कड़वी हो चुकी है. हमने अपने पर्यावरण को खराब किया है जिसकी वजह से हवा का रुख बदल गया है. कहीं तो सूखा पड़ रहा है और कहीं इतनी बारिश है कि लोग बाढ़ में मर रहे हैं. एक बार फिर नीला माधव पांडा ने बेहतरीन तरीके से फिल्म बनाई है जिसे देखकर लगता है कि हम उस गांव के हिस्सा हैं. फिल्म बहुत ही रियलिस्टिक ढंग से बनाई गई है. गरीबों और किसानों के रहन-सहन, उनकी मजबूरी को बड़ी सच्चाई से परदे पर उतरा गया है. फिल्म में रणवीर शौरी आपको विलेन लगेंगे मगर जब उनकी मजबूरी फिल्म में देखेंगे तो वो भी आपका दिल छु लेगी. रणवीर और संजय ने अपने अपने किरदारों में जान डाली है.
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इस फिल्म की एक और खास बात यह है कि इसमें जबरदस्ती का मनोरंजन या नाच गाना डालने की कोशिश नहीं है. शुरू से अंत तक विषय पर गंभीरता बनी हुई है. ये एक आर्टिस्टिक फिल्म है जिसमे मनोरंजन के मसाले नहीं मिलेंगे फिर भी इसे आपको देखनी चाहिए क्योंकि ये फिल्म आपको बताती है कि पर्यावरण को हमारी जरूरत है और इसे बचाने कि जिम्मेदारी हमारी है. इस फिल्म में कोई स्टार या मसाला नहीं है मगर मौजूदा हालात में ऐसी फिल्म की बहुत सख्त जरूरत है.
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