
संजय मिश्रा बॉलीवुड के शानदार एक्टरों में से एक हैं जिनके खाते में कई सारी हिट फिल्में हैं. संजय मिश्रा की खासियत ये है कि वो हर किरदार में ढल जाते हैं. कॉमेडी हो या फिर इमोशन, उनका हर रंग लोगों के दिलों पर छा जाता है. आज संजय मिश्रा का नाम बॉलीवुड में बोलता है और उन्हें बड़ी बड़ी फिल्मों में बड़े स्टारों के साथ काम करने का मौका मिलता है. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, एक वक्त था जब संजय मिश्रा को भी जिंदगी की ठोकरें खानी पड़ी थी.
दसवीं में दो बार फेल हुए संजय मिश्रा
बिहार में पैदा हुए संजय मिश्रा के पिता प्रेस इन्फोर्मेशन में काम करते थे.संजय मिश्रा का मन पढ़ाई में कम लगता था. इसी वजह से वो दो बार दसवीं क्लास में फेल हो गए. इसके बाद वो पचास रूपए जेब में लेकर मुंबई आ गए. संजय मिश्रा को देखकर मशहूर लेखक मनोहर श्याम जोशी ने संजय मिश्रा के पिता से कहा था कि इस बच्चे का फ्यूचर ड्रामा में बनेगा. इसके बाद संजय मिश्रा को एनएसडी भेजा गया. वहां एनएसडी की प्रवेश परीक्षा में संजय मिश्रा ने टॉप किया. उनका मन एनएसडी में नहीं लगा और वो वहां से भागने की तरकीब सोचते थे लेकिन उसे छोड़ नहीं पाए. एनएसडी पास करने के बाद उन्हें काफी सालों तक बॉलीवुड में काम नहीं मिला.
पिता की मौत के बाद ढाबे पर काम किया
बॉलीवुड में काम नहीं मिला तो संजय मिश्रा ने टीवी का रुख किया. यहां उन्हें कई सीरियल मिले. नया दौर, ऑफिस ऑफिस, कभी पास कभी फेल, आहट जैसे हिट सीरियल में काम किया. पिता की मौत के बाद संजय मिश्रा इतने टूट गए कि एक्टिंग छोड़कर शांति की तलाश में निकल गए. महीनों बाद उन्हें ऋषिकेश के एक ढाबे पर काम करते देखा गया. उस वक्त वो ढाबे पर काम करते थे और उनको सैलरी के रूप में 150 रुपए मिलते थे. यहां उन्हें पहचान लिया गया और परिवार के लोग उन्हें घर ले गए. इसके बाद रोहित शेट्टी ने संजय मिश्रा को कई कॉमिक रोल दिए. ऑल दि बेस्ट में उनका डायलॉग ढोंढू जस्ट चिल..मशहूर हुआ. इसके बाद उनकी गाड़ी चल निकली और उनको शोहरत मिलती गई.इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इंडस्ट्री ने उनको हर तरह से सम्मान दिया.
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