लैला मजनू (Laila Majnu) फिल्म हुई रिलीज
नई दिल्ली:
'लैला मजनू' (Laila Majnu) की कहानी से हम सब वाकिफ़ हैं. कैस यानी मजनू और लैला की ये कहानी कई बार परदे पर भी आ चुकी है. इस 'लैला मजनू' की भी वही कहानी है, जहां क़ैस और लैला एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन 2 परिवारों की दुश्मनी की वजह से लैला की शादी कहीं और हो जाती है और फिर क़ैस लैला की दीवानगी में दर-दर भटकता है और पागल हो जाता है.
हसीन वादियों के बीच प्यार में पागल दिखे 'लैला-मजनू', टीजर हुआ रिलीज
अब जब ये कहानी सब जानते हैं तो इस फ़िल्म में क्या नया है? इस फ़िल्म में नई है इसकी पटकथा. इस फ़िल्म को आज के दौर के हिसाब से बनाई गई है और कश्मीर की सुंदर वादियों में इनका प्यार पनपता है. ये लैला आज की लड़की है जो फ़्लर्ट करती है. मजनू भी आज का युवा है जो एकदम कूल है.
फ़िल्म का पहला भाग अच्छा है जहां छेड़छाड़, लैला मजनू का एक दूसरे के लिए पीछा करना, एक दूसरे से छुप-छुप कर मिलना है. फ़िल्म के दूसरे भाग में इमोशन अच्छे हैं. एक दूसरे के लिए तड़प अच्छी है. कई दृश्य दिल को छूते हैं. अच्छी सिनेमेटोग्राफी है और अच्छा बैकग्राउंड म्यूजिक भी है. लैला और मजनू के रोल को अविनाश शर्मा और तृप्ति डिमरी ने अच्छे से निभाया है.
देखें ट्रेलर-
कैंसर से जूझ रहीं सोनाली बेंद्रे का बाल्ड लुक इंटरनेट पर हुआ वायरल
लेकिन लैला मजनू का पहला भाग इसे जिस तरह आज की फ़िल्म बनाता है वहीं फ़िल्म का दूसरा भाग थोड़ा कमज़ोर पड़ गया. कई दृश्य बिना मतलब के लगते हैं और ऐसा लगता है कि फ़िल्म खिंच रही है. इस फ़िल्म का संगीत भी साधारण लगता है. लैला मजनू एक बहुत ही पुरानी प्रेम कहानी है जिसको नए ढंग से परदे पर उतारने की अच्छी कोशिश है. इस कोशिश में निर्देशक साजिद अली फ़िल्म के कुछ हिस्सों में कामयाब हुये हैं. फ़िल्म 'लैला मजनू' के लिए मेरी रेटिंग 2.5 है.
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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फ़िल्म का पहला भाग अच्छा है जहां छेड़छाड़, लैला मजनू का एक दूसरे के लिए पीछा करना, एक दूसरे से छुप-छुप कर मिलना है. फ़िल्म के दूसरे भाग में इमोशन अच्छे हैं. एक दूसरे के लिए तड़प अच्छी है. कई दृश्य दिल को छूते हैं. अच्छी सिनेमेटोग्राफी है और अच्छा बैकग्राउंड म्यूजिक भी है. लैला और मजनू के रोल को अविनाश शर्मा और तृप्ति डिमरी ने अच्छे से निभाया है.
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लेकिन लैला मजनू का पहला भाग इसे जिस तरह आज की फ़िल्म बनाता है वहीं फ़िल्म का दूसरा भाग थोड़ा कमज़ोर पड़ गया. कई दृश्य बिना मतलब के लगते हैं और ऐसा लगता है कि फ़िल्म खिंच रही है. इस फ़िल्म का संगीत भी साधारण लगता है. लैला मजनू एक बहुत ही पुरानी प्रेम कहानी है जिसको नए ढंग से परदे पर उतारने की अच्छी कोशिश है. इस कोशिश में निर्देशक साजिद अली फ़िल्म के कुछ हिस्सों में कामयाब हुये हैं. फ़िल्म 'लैला मजनू' के लिए मेरी रेटिंग 2.5 है.
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