जयपुर: एक सरकारी शिक्षक नरेंद्र यादव को 'बरगद मैन' के नाम से जाना जाता है. शिक्षक को ये नाम धौलपुर के पूर्व जिला कलेक्टर राकेश जायसवाल द्वारा दिया गया था. हालांकि जायसवाल अब सेवानिवृत हो चुके हैं. जयपुर निवासी सरकारी शिक्षक नरेंद्र यादव का पयार्वरण से खास लगाव है. खास बात ये है कि इस सरकारी शिक्षक की पूरी सैलरी पयार्वरण की रक्षा में लग जाती है.
धौलपुर में 'बरगद मैन' शिक्षक नरेंद्र यादव लगभग छह साल से इस काम को बखूबी कर रहे हैं. इससे पहले वह जयपुर में ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में सरकारी सेवा में थे. इसी दौरान उनकी शिक्षक के पद पर नियुक्ति हो गई और उनकी पोस्टिंग जालौर में हुई. करीब 7 से 8 महीने वहां रहे तो उन्होंने वहां भी 187 के आसपास बरगद के पेड़ लगाए. इसके बाद धौलपुर ट्रांसफर होने के बाद अब यहां 6 साल से अपनी पूरी सैलरी को इसी काम में लगा रहे हैं.
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नरेंद्र यादव अपनी सेवाकाल के दौरान अब तक 1073 बरगद के पेड़ लगा चुके हैं. नरेंद्र यादव अपनी बाइक में ही खुरपी, फावड़ा, परात व पेड़ लेकर घर से निकलते हैं और जहां अच्छी जगह दिखती है. वहीं बरगद का पेड़ लगाने के बाद जब तक वृक्ष बड़ा नहीं हो जाता उसमें प्रतिदिन पानी देने भी पहुंचते हैं.
नरेन्द्र यादव ने धौलपुर शहर से 1600 किलोमीटर दूर कडियापुलंका ईस्ट गोदावरी आंध्र प्रदेश से 1100 बरगद पौधे धौलपुर में लगाने के लिए मंगवाए हैं. निजी खर्च से धौलपुर में इस साल जुलाई-अगस्त माह में ट्री गार्ड सहित 1100 बरगद पौधे लगाए जायेंगे. शिक्षक नरेन्द्र यादव ने अपना जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया है. इस बार 230 महावृक्ष बाड़ी धौलपुर रोड़ पर, 100 पौधे आरईसीएल बारुद फैक्ट्री में और धौलपुर बसेड़ी रोड़ पर दोनों तरफ 130 महावृक्ष ट्री गार्ड लगाए जायेंगे.
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बरगद के इस एक पेड़ की कीमत 1700 से 3000 रुपए तक है, जो छोटे से बड़े साइज के अच्छे किस्म के बरगद हैं. जिनकी कीमत 8.20 लाख रुपए है.
बरगद मैन नरेंद्र कहते हैं कि जीने के लिए पेड़ जरूरी हैं. पिता तेजपाल और गुरु थानाराम पौधे लगाया करते थे, तो मुझे भी उनसे प्रेरणा मिली. इसके साथ ही नरेंद्र कहते हैं कि जीवन रक्षक बरगद के पौधे लगाने से दैहिक, दैविक और भौतिक लाभ होता है. पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण बरगद पेड़ मनुष्य और जीव-जंतु के जीवन का आधार है.
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