कमीशन मामले में बढ़ सकती है व‍िधायकों की मुश्‍किलें, सदाचार कमेटी को म‍िले अहम वीड‍ियो

अब सभापति कैलाश वर्मा की अगुवाई वाली कमेटी अपने स्तर पर इन तथ्यों को देखेगी. इसके बाद इसकी एफएसएल जांच भी करने की मंशा सदाचार कमेटी की है.

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विधायक अनीता जाटव (बाएं) विधायक ऋतु बनावत (बीच में) और बीजेपी विधायक रेवंतराम डांगा पर कमीशन लेने का आरोप है.

विधायक निधि कोष में से काम का लेटर जारी करने और उसके बदले कमीशन के कथित मामले में सदाचार कमेटी को महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं. विधानसभा में सदाचार कमेटी के सामने दूसरे पक्ष ने अपनी तरफ से तथ्य और दस्तावेज दिए हैं. हालांकि, 19 दिसंबर को विधायकों ने अपनी तरफ से तथ्य और पक्ष रखने के लिए कुछ समय मांगा था. इस बीच सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करने वाले पक्ष की तरफ से कमेटी के पास तथ्य आना महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

वीडियो सदाचार कमेटी को सौंपा 

दरअसल, 3 जनप्रतिनिधियों का जो कथित स्टिंग ऑपरेशन का मामला आया, उसके वीडियो सोशल मीडिया पर तो वायरल हुए थे, लेकिन सदाचार कमेटी के पास आधिकारिक रूप से इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था. सूत्रों से जो जानकारी मिली, उसके मुताबिक कुछ लोग सदाचार कमेटी के सामने पेश हुए और उन्होंने अपनी तरफ से वीडियो बनाने की बात कही. इस मामले में दूसरे पक्ष की तरफ से तैयार किया गया, वीडियो सदाचार कमेटी को सौंपा गया है. बताया जा रहा है कि कमेटी को वायरल वीडियो के साथ ही मूल वीडियो भी सौंपा गया.

वीडियो में कितने कट, इसकी जांच होगी 

FSL जांच के बाद यह साफ हो सकेगा कि इस मामले में जारी किए गए वीडियो में कितने कट लगाए हैं, और अगर इसे एडिट किया है तो कितना? साथ ही यह भी देखा जाएगा कि मूल वीडियो में कौन-कौन चेहरे दिख रहे हैं? अभी तक कमेटी को जो दस्तावेज मिले, उसमें प्रारंभिक रूप से दो विधायकों की सीधी भूमिका मानी जा रही है.

एक विधायक के साक्ष्य कमेटी को नहीं मिले  

हालांकि, एक विधायक की तरफ से पैसे लेने के साक्ष्य ना कमेटी को मिले, ना वीडियो में दिख रहे हैं. इसके साथ ही कमेटी दूसरे तथ्यों की भी जांच कर रही है. जिनमें कुछ अन्य विधायकों के वीडियो होने की बात भी आई थी. ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए कमेटी पूरी सजगता से काम कर रही है, लेकिन माना जा रहा है कि एफएसएल जांच में मूल वीडियो और वायरल वीडियो को देखने के बाद जो अंतिम रिपोर्ट तैयार होगी, उसके बाद ही पूरे मामले में स्थिति साफ हो सकेगी. संभायतया इस जांच से यह पता लग सकेगा कि किस-किस MLA ने विधायक निधि से काम के लिए जारी करने के बदले कमीशन लिया और किसने नहीं?

विधायी मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर विधायकों की तरफ से विधायक निधि कोष के मामले में कोई पैसा लिया गया और यह साबित होता है, तो उनकी सदस्यता पर भी गंभीर संकट आ सकता है.

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