मुख्‍तार अंसारी को लेकर हुए कानूनी खर्च पर टकराव, CM मान बोले - पूर्व CM कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और सुखजिंदर रंधावा से वसूलेंगे

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा कि मुख्‍तार अंसारी को पंजाब जेल में रखने और सुप्रीम कोर्ट में उसका केस लड़ने की 55 लाख रुपये की फीस पंजाब के खजाने से नहीं दी जाएगी.

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सीएम मान ने कहा कि भुगतान नहीं करने पर पेंशन और अन्य सरकारी लाभ रद्द कर दिए जाएंगे. (फाइल)
नई दिल्‍ली :

उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी  पंजाब में मौजूदा मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच में टकराव का कारण बन गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी से जुड़े कानूनी खर्च का बिल चुकाने से साफ इनकार कर दिया है. यही नहीं भगवंत मान ने कह दिया है कि गैंगस्टर जुड़े खर्च का भुगतान पंजाब सरकार नहीं करेगी बल्कि इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और तत्कालीन जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से वसूला जाए और अगर यह पैसा नहीं चुकाते हैं तो इनकी पेंशन आदि से वसूला जाए. बता दें कि यह मामला कुल 55 लाख रुपये की वकीलों की फीस अदायगी का है. 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा, "यूपी के गैंगस्टर अंसारी को पंजाब जेल में रखने और सुप्रीम कोर्ट में उसका केस लड़ने की 55 लाख रुपये की फीस पंजाब के खजाने से नहीं दी जाएगी. यह पैसा तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से वसूला जाएगा. भुगतान न करने की स्थिति में उनकी पेंशन और अन्य सरकारी लाभ रद्द कर दिए जाएंगे."

क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश में बहुत से केस दर्ज हैं, लेकिन पंजाब के मोहाली में एक बिल्डर ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक केस दर्ज करवाया था. पंजाब पुलिस इस केस के चलते मुख्तार अंसारी को ट्रांजिट रिमांड पर उत्तर प्रदेश से पंजाब लाई थी. साल 2019 से 2021 के दौरान अंसारी करीब ढाई साल पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था. उत्तर प्रदेश पुलिस चाहती थी कि पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दे, लेकिन पंजाब पुलिस ने बार-बार कहने के बावजूद भी ऐसा नहीं किया. 

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बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश की तरफ से 25 बार मुख्तार अंसारी को रोकने के लिए कहा गया, लेकिन पंजाब सरकार ने अंसारी की खराब तबीयत का हवाला देकर मना कर दिया. आखिर में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उस वक्‍त सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार का मजबूत पक्ष रखने के लिए एक वरिष्ठ वकील को मोर्चे पर लगाया गया. वरिष्ठ वकील के सुप्रीम कोर्ट में पेश होने और तत्कालीन पंजाब सरकार का पक्ष मजबूती से रखने का खर्च करीब 55 लाख आया. यही 55 लाख रुपये का बिल मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास पहुंचा तो उन्होंने इसे लौटा दिया. 

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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भगवंत मान पर उठाए सवाल
तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन अब बीजेपी में हैं. भगवंत मान के बयान के जवाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा 'श्री भगवंत मान ऐसे मूर्खतापूर्ण बयान देने से पहले कानून और जांच की प्रक्रिया समझें, ऐसे बयान गवर्नेंस के बारे में आपकी अज्ञानता को उजागर करते हैं. अंसारी को कानून और जांच की प्रक्रिया के तहत पंजाब में लाया और रखा गया था. तो फिर मुख्यमंत्री या जेल मंत्री तस्वीर में कहां से आ गए?'

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सुखजिन्दर रंधावा सोमवार को करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस
पंजाब के तत्कालीन जेल मंत्री और कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा कि 'जब भी बात आपके ऊपर आती है तो सोशल मीडिया पर ऐसे बेतुके कमेंट करके ध्यान भटकाने की कोशिश करते हो. आप कल शिक्षकों पर हुए लाठीचार्ज को छुपाने के लिए बेबुनियाद ट्वीट का सहारा ले रहे हो. मैं सोमवार सुबह 10:00 बजे प्रेस कांफ्रेंस करके इसका जवाब दूंगा.'

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