संविधान विरोधी है धर्मांतरण रोधी कानून, कर्नाटक की सत्ता में आते ही कर देंगे निरस्त : सिद्धरमैया

विधेयक में धर्मांतरण कराने के दोषियों पर 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3 से 5 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / जनजाति के संदर्भ में प्रावधानों के उल्लंघन पर अपराधियों को 10 साल तक की कैद और कम से कम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

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कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा है कि कांग्रेस के सत्ता में लौटते ही धर्मांतरण रोधी कानून निरस्त होगा. (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:

कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर कांग्रेस प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी कानून को तुरंत निरस्त कर देगी. उन्होंने ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021' को संविधान विरोधी और क्रूर बताते हुए कहा कि कांग्रेस भी जबरन धर्मांतरण या प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण कराये जाने के खिलाफ है.

सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इसे 100 फीसदी निरस्त कर देंगे, हम सत्ता में आने के एक हफ्ते के अंदर ऐसा करेंगे. हम इसे प्रथम सत्र में ही निरस्त कर देंगे.''

धर्मांतरण रोधी विधेयक को अभी विधान परिषद में पारित किया जाना बाकी है. इसे लागू करने के लिए एक अध्यादेश लाने की भारतीय जनता पार्टी की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अध्यादेश जारी करने का रास्ता आपात स्थिति में अपनाया जाता है.

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक विधानसभा ने पिछले हफ्ते बेलगावी में राज्य विधानसभा में विपक्षी दलों के विरोध के बीच इसे पारित किया था.

विधेयक में धर्मांतरण कराने के दोषियों पर 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3 से 5 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / जनजाति के संदर्भ में प्रावधानों के उल्लंघन पर अपराधियों को 10 साल तक की कैद और कम से कम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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