Paris Olympics 2024: 12 साल का इंतजार...रेलवे में टीसी...इस पूर्व क्रिकेटर के फैन हैं स्वप्निल कुसाले

Paris Olympics 2024, Swapnil Kusale: भारत को अभी तक पेरिस ओलंपिक में दो पदक मिल चुके हैं और दोनों ही पदक मनु भाकर ने दिलाए हैं. वहीं भारत को पेरिस का तीसरा पदक भी शूटिंग में मिल सकता है.

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Swapnil Kusale: इस पूर्व क्रिकेटर के फैन हैं स्वप्निल कुसाले, अब मेडल पर लगाएंगे निशाना

भारत को अभी तक पेरिस ओलंपिक में तीन पदक मिल चुके हैं. पहले दो पदक मनु भाकर ने दिलाए हैं. जबकि गुरुवार को पेरिस का तीसरा पदक शूटिंग में मिला. बुधवार को पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन्स (3पी) ओलंपिक क्वालीफिकेशन राउंड में स्वप्निल कुसाले ने अद्भुत संयम दिखाते हुए सातवें स्थान पर फिनिश किया था. वहीं उन्होंने गुरुवार को इस स्पर्धा का कांस्य पदक अपने नाम किया. इस स्पर्धा में घुटने टेककर, लेटकर तथा खड़े रहकर निशाना लगाया जाता है. बता दें, इस इवेंट में भारत के लिए ओलंपिक मेडल मेडल जीतने वाले स्वप्निल कुसाले पहले भारतीय हैं. स्वप्निल कुसाले ने क्वालीफिकेशन  राउंड में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 100 की एक भी पूरी सीरीजी दर्ज नहीं की. हालांकि, उन्होंने निरंतरता बनाए रखी और उन्होंने 99 और 98 का टारेगट हिट किया. आखिरी सीरीज में उन्होंने 97 का स्कोर किया, जो उनका सबसे कम स्कोर था. लेकिन फाइनल में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया.

कुसाले ने इस वर्ग में भारत के लिए कोटा जीता था और अंततः ट्रायल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और टीम में भी जगह बनाई. हालांकि, ट्रायल में, वह तोमर से पीछे रह गए थे, और बाहर होने के कगार पर थे, क्योंकि उनका ट्रायल का अंतिम दौर बहुत खराब था, लेकिन पहले तीन राउंड में उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था कि वह टीम में जगह बना सके.

धोनी से लेते हैं प्रेरणा

ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने स्वप्निल कुसाले महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से प्रेरणा लेते हैं जो कैरियर की शुरूआत में उन्हीं की तरह रेलवे में टिकट संग्राहक थे. महाराष्ट्र के कोल्हापूर के कंबलवाड़ी गांव के रहने वाले 29 वर्ष के कुसाले 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल रहे हैं लेकिन ओलंपिक पदार्पण के लिये उन्हें 12 साल इंतजार करना पड़ा.

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धोनी की ही तरह 'कूल' रहने वाले कुसाले ने विश्व कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी. उन्होंने क्वालीफिकेशन के बाद पीटीआई से कहा,"मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता. लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं. मेरे खेल में भी शांतचित्त रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे. वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं."

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कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं. उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं. उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा,"अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है. मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं. मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है. वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं."

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