'अंकल, परिवार की सोचिए और वैक्‍सीन लीजिए' : कोरोना टीके से डर रहे मुंबई की झुग्‍गी बस्तियों के लोगों को समझा रहे बच्‍चे

महाराष्‍ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे की मौजूदगी में BMC की मदद से  गोल्डन ऑवर फ़ाउंडेशन सामाजिक संस्था के साथ मिलकर स्कूली बच्चों ने ये स्पेशल ड्राइव चलाई.

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मुंबई:

Mumbai: मुंबई (Mumbai) की झुग्गी बस्तियों में अब भी कई लोग कोविड-वैक्सीन (Covid vaccine) से डरे हुए हैं और टीका नहीं लगवा रहे हैं. अब ऐसे लोगों का डर दूर करने के लिए स्कूली बच्चों का सहारा लिया गया है. जो इन्हें मनाकर वैक्‍सीनेशन (vaccination) सेंटर तक ला रहे हैं.वैक्‍सीन लगवाने को लेकर खौफजदा लोगों में 61 साल के चंद्र जोशी भी शामिल हैं. उन्‍होंने कहा, 'वैक्सीन लेकर कई लोग बीमार पड़ गए हैं. मैंने सुना है कि कुछ मर गए हैं, इसलिए मैंने वैक्सीन नहीं ली है. ये देखिए मेरे बाजू में बैठा है. बोल रहा है कि वैक्सीन लेने के बाद इसको बहुत तकलीफ़ हुई. मैं अच्छा खाना खाता हूं और अपनी इम्यूनिटी बढ़ाता हूं. मैं वैक्सीन नहीं लूंगा.' चंद्र जोशी ऐसे अकेले नहीं है, उनकी तरह मुंबई की झुग्गी बस्तियों में कई और लोग हैं जो वैक्सीन लेने को तैयार नहीं हैं. इसलिए अब इन्हें मनाने के लिए स्कूली बच्चे आगे आए हैं. महाराष्‍ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे की मौजूदगी में BMC की मदद से  गोल्डन ऑवर फ़ाउंडेशन सामाजिक संस्था के साथ मिलकर स्कूली बच्चों ने ये स्पेशल ड्राइव चलाई. ये बच्चे मुंबई की झुग्गी बस्तियों में पहुंचे. वैक्सीन से डर रहे लोगों से टीका लेने के लिए गुज़ारिश की, यही नहीं, उन्हें टीकाकरण केंद्रों तक लेकर आए.

धीरूभाई अम्बानी इंटरनेशनल स्कूल के 9वीं के छात्र अरम भंसाली अपनी इस ड्राइव के बारे मेंबताया, 'लोगों को समझाने में दिक़्क़त आ रही है क्‍योंकि पहले से ही बहुत भ्रामक और ग़लत जानकारियां इन्होंने ली हैं. इनको लगता है बीमार हो जाएंगे, मर जाएंगे तो इनको हम समझाते हैं  कि आपके और आपके परिवार के लिए ज़रूरी है. जहां कुछ लोग हमारी बात को मान रहे हैं तो कुछ नहीं.' मुंबई में कोविड बेड का ज़िम्मा सम्भाल रहे डॉ गौतम भंसाली अब शहर में टीकाकरण अभियान के चीफ़ कोऑर्डिनेटर भी हैं. वे कहते हैं कि बच्चों की भावनात्मक अपील ने कइयों की ज़िद तोड़ी.

डॉ. भंसाली कहते हैं, 'स्लम में इस ड्राइव को चलाने के लिए धीरूभाई अम्बानी स्कूल और बॉम्बे स्कॉटिश जैसे स्कूल के बच्चे भी आगे आए. हम दो दिन पहले जब आए थे तो कोई हमारी बात नहीं मान रहा था. स्कूल के बच्चों ने जब भावनात्मक तरीक़े से समझाया कि अंकल आप वैक्सीन नहीं लेंगे तो हमारी उम्र के जो आपके बच्चे हैं, वे भी सेफ़ नहीं हैं, स्कूल कैसे जा पाएंगे? अपने परिवार की सोचिए और वैक्सीन लीजिए. ऐसी भावनात्मक अपील के बाद कुछ ही घंटों में घरों से वैक्सीन लेने के लिए कई लोग बाहर निकले . यह ड्राइव काफ़ी असर कर रही है. गौरतलबहै कि मुंबई में 97% लोगों को पहला टीका लग चुका है तो वहीं 55% लोग दोनों डोज़ ले चुके हैं. जल्द ही 100% वैक्सिनेशन के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए ऐसी नई नई तरकीब अपनानी पड़ रही है.

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