VIDEO: MP में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का अजब आलम, मरीज को स्ट्रेचर की जगह कंबल!

ग्वालियर में करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से बने 1000 बिस्तरों के अस्पताल में स्ट्रेचर की किल्लत

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ग्वालियर के सबसे बड़े अस्पताल में मरीज के परिजन उसको कंबल पर बिठाकर ले गए.
भोपाल:

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का हाल वायरल हुआ एक वीडियो बयां कर रहा है. ग्वालियर जिले में बने सबसे बड़े 1000 बिस्तर के अस्पताल में देखने को मिला कि स्ट्रेचर नहीं मिलने पर मरीज के परिजन उसे कंबल पर बिठाकर अपने हाथों से खींच रहे हैं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. 

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ग्वालियर में करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से बने 1000 बिस्तरों के अस्पताल में स्ट्रेचर की किल्लत है. अस्पताल में एक मरीज को लेकर पहुंचे उसके परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मिला तो वे मरीज को कंबल पर बिठाकर उसे फर्श पर खींचते हुए अस्पताल में संबंधित विभाग तक पहुंचे. इस घटना के दौरान वहां मौजूद लोगों ने वाकये का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. 

बताया गया है कि वृद्ध मरीज के पैर की हड्डी टूट जाने पर उनका इलाज करवाने के लिए उनके परिजन अस्पताल पहुंचे थे. वहां उनको मरीज के लिए एक स्ट्रेचर तक नहीं मिला. इसके बाद मजबूरी में मरीजों ने वृद्ध को कंबल पर बिठाया और उसे खींचकर ले गए. 

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ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय (JAH) का भी ऐसा ही हाल है. वहां स्ट्रेचर तो है, लेकिन उनमें चके नहीं हैं. ऐसे में वहां पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उचित मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है.

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मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के उदाहरण अक्सर सामने आते रहते हैं. ग्वालियर की तरह ही इसके पड़ोसी जिले भिंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति का एक मामला पिछले साल सामने आया था. जिले के दबोह इलाके में एक बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब हो गया था. उसको अस्पताल ले जाने के लिए उसके परिजन 108 एम्बुलेंस को फोन लगाते रहे लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरी में बुजुर्ग के बेटे हरि सिंह ने एक ठेला लिया और उस पर अपने पिता को लिटाकर पांच किलोमीटर तक ठेले को धकेलकर अस्पताल पहुंचा. वहां पहुंचने पर उसके पिता का उपचार हो सका.

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दबोह क्षेत्र के मारपुरा गांव के निवासी हरिकृष्ण विश्वकर्मा की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है. उसके पास इतने पैसे भी नहीं कि खुद का मोबाइल फोन खरीद सके. उसने पिता की तबीयत खराब हो जाने पर पड़ोसी का फोन लेकर एम्बुलेंस को फोन लगाया था लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची थी. आखिरकार पिता को हाथठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ा था.

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