मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह प्रतिबंधित ‘एमडीएमए ड्रग्स' की जब्ती से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को 10 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दे, क्योंकि प्रयोगशाला में जांच करने पर जब्त किया गया मादक पदार्थ यूरिया निकला. न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल ने 28 अप्रैल को मोहित तिवारी (26) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. तिवारी इस मामले में गिरफ्तार किये गये सात आरोपियों में से एक हैं.
पुलिस ने दावा किया था कि पकड़ा गया पदार्थ ‘एमडीएमए ड्रग्स' है जबकि वह यूरिया निकला जो प्रतिबंधित मादक पदार्थ की परिभाषा में नहीं आता है. भोपाल स्थित ‘सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी' की एक रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि जब्त पदार्थ यूरिया था, जो न तो प्रतिबंधित पदार्थ है और न ही यह ‘नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस' (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत आता है. तिवारी के वकील सुशील गोस्वामी ने अदालत से कहा कि उसके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है और छह सितंबर 2022 से अब तक करीब आठ महीने तक जेल में रखा गया है और यह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है.
अदालत ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया, ''इस स्थिति में, अदालत की राय है कि आवेदक को गलत तरीके से कैद करने के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये की राशि दी जाए.'' अदालत ने कहा कि डीजीपी दोषी अधिकारियों से यह राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र हैं और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस तरह की अनियमितता की पुनरावृत्ति न हो.
पुलिस के अनुसार, छह सितंबर 2022 को ग्वालियर के पास मुरार पुलिस ने मुरार में तिवारी और एक महिला सहित सात लोगों को रोका था और उनके कब्जे से 720 ग्राम ‘एमडीएमए ड्रग्स' एवं दो देसी तमंचे बरामद करने का दावा किया था. इसके बाद तिवारी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था.
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