कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस अब मध्यप्रदेश में भी चुनावी बिसात बिछाने में बीजेपी से आगे रहना चाहती है. राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ के चेहरे पर मुहर लग गई है. कांग्रेस ने 150 सीटें जीतने का दावा किया है तो बीजेपी तंज कस रही है, लेकिन सवाल है कि क्या कमलनाथ की अगुवाई में इन दावों में दम है. मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 114 और बीजेपी ने 109 सीटे जीती थीं. वहीं बहुमत का आंकड़ा 116 था. सूत्र बताते हैं कि इस आंकड़े को 2023 में और बेहतर करने के लिए कांग्रेस ने पहली बाजी चल दी है. मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर कमलनाथ को ही रखने का फैसला हुआ है. हालांकि औपचारिक तौर पर अभी सिर्फ 150 सीटें जीतने का मंत्र दिया जा रहा है.
कांग्रेस का 150 सीट का दावा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि कर्नाटक में हमें 136 सीटें मिलीं, जो कर्नाटक में किया हम वही मध्य प्रदेश में दोहराने जा रहे हैं. अभी हमारी लंबी बातचीत हुई. हमारा आंतरिक आकलन कहता है कि मध्य प्रदेश में हमें 150 सीटें मिलेंगी. वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि चुनाव में चार, सवा चार महीने बचे हैं. कैसी रणनीति बनाई जाए आज यह प्रश्न केवल कांग्रेस का नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के भविष्य का है.
कांग्रेस पर तंज, 200 पार का नारा
हालांकि बीजेपी ने 200 पार का नारा दिया है और कांग्रेस पर तंज कस रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के 150 सीट जीतने के दावे पर कहा कि मन को बहलाने को खयाल अच्छा है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि बीजेपी 200 से ज्यादा सीटें जीतेगी. अब उनको खयाली पुलाव पकाना है तो पकाते रहें.
आंकड़ों से समझिए मध्य प्रदेश का गणित
अब जरा पूरे मध्यप्रदेश की बिसात से समझते हैं कि दोनों पार्टियों ने आंकड़ों के ऐलान में क्या गणित लगाया है.
मालवा
मालवा की 38 में से 24 सीटें फिलहाल बीजेपी के पास हैं. वहीं कांग्रेस के पास 13 और एक पर निर्दलीय विधायक हैं. हालांकि सरकार गंवाने से पहले कांग्रेस को यहां 18 सीटें और बीजेपी को 19 सीटें मिली थीं.
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का फायदा मिला था. मध्यप्रदेश के जिन 6 जिलों से होकर यह यात्रा गुजरी वहां 30 सीटें हैं. उसमें से कांग्रेस ने 2018 में 15 और बीजेपी ने 12 सीटों पर कब्जा किया था. तीन सीटों पर निर्दलीय जीते. हालांकि बाद में कांग्रेस के 3 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए.
ग्वालियर-चंबल
कांग्रेस ने 2018 में यहां की 31 सीटों में से 24 सीटें जीती थीं और बीजेपी के खाते में महज 6 सीटें आई थीं. वहीं एक सीट बीएसपी को मिली थी. बगावत के बाद उपचुनावों में तस्वीर बदली है. हालांकि कांग्रेस को लगता है कि इस बार फिर वो प्रदर्शन दोहरा सकती है. हालांकि इस बार सिंधिया खेमा बीजेपी में है.
महाकौशल
2018 में महाकौशल की 38 में से 24 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. साथ ही 14 सीटें बीजेपी को मिली थी. यही वजह है कि कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी 12 जून से यहीं से चुनावी शंखऩाद करेंगी.
विंध्य
पिछले दफे विंध्य में 30 में से 24 सीटें जीतकर बीजेपी ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के कई महापौर जीते हैं.
कांग्रेस की मालवा-निमाड़-बुंदेलखंड में भी बीजेपी को घेरने की योजना है. खासकर मालवा और बुंदेलखंड जहां पिछले दफे बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी.
चुनावी वादों में पीछे नहीं कांग्रेस
चुनाव से पहले कांग्रेस भी 500 रुपए में सिलेंडर, 1500 रुपये हर महीने नारी सम्मान योजना में, बिजली में 100 यूनिट माफ, 200 यूनिट पर बिल हाफ, पुरानी पेंशन लागू करने जैसे वायदे कर रही है. इसके अलावा भी उसने कई प्लान बनाए हैं.
70 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम जल्द
मुख्यमंत्री के चेहरे के अलावा 70 सीटों में जहां उसे लगातार हार मिली है. वहां जल्द ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जाएगा. दिग्विजय सिंह मंडलम-बूथ में लगातार काम में जुटे हैं और
बीजेपी से नाराज नेताओं पर कांग्रेस की नजर है. हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत कार्यकर्ता हर वोटर के घर तक पहुंच रहे हैं.
मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की जुगत में
पिछले चुनावों में कांग्रेस की सीटें ज्यादा आईं, लेकिन वोट शेयर बीजेपी का ज्यादा रहा. सरकार कांग्रेस की बनी, लेकिन चली नहीं. ऐसे में इस बार कांग्रेस मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम और कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम के ऐलान से इस बिसात में मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की जुगत में है.
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