Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल स्थिति में हैं. राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आग लगने से 4 बच्चों की मौत के आंसू अभी सूखे भी नहीं थे कि अशोकनगर जिला अस्पताल में एक नवजात का शव कुत्ता अपने मुंह में दबाकर घूमता रहा, सरकार अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त हैं और स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने को लेकर मानो सबने आंखे फेर ली हैं . राज्य के अशोक नगर में नवजात का शव मिट्टी में दफन होता, उससे पहले ही कुत्ते ने शव को निवाला समझ लिया और अपने मुंह में दबाकर घूमता रहा. अशोकनगर जिला अस्पताल में जिसने ये यह देखा सिहर गया. एक सफाईकर्मी ने किसी तरह नवजात के शव को छुड़ाया. दो साल में यह ऐसी चौथी घटना है. प्रत्यक्षदर्शी रवि सेभानी ने बताया 'बच्चे के शव को कुत्ता ले जा रहा था. ऊपर एक मरीज़ गया था. उसने बताया कि बच्चे को कुत्ता ले गया.'
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सिविल सर्जन डॉ डीके भार्गव ने बताया, 'नवजात की बॉडी को सुबह कुत्ता लेकर जा रहा था, हमने उसको सुरक्षित पोस्टमॉर्टम हाउस में रख दिया है. पुलिस को सूचित कर दिया है. मामले जो पहले भी आए हैं उसमें घरवाले नवजातों के शव को ठीक से दफनाते नहीं है. जल्दबाजी में दबाकरचले जाते हैं. बच्चे को मिट्टी में दबाया होता तो मिट्टी लगी होती. घरवालों ने यह काम अच्छे से नहीं किया.' दरअसल, अस्पताल करें भी तो क्या, वे खुद बीमार है.गंदगी का अंबार है.
रोज़ 300-400 मरीज़ आते हैं जबकि 200 बिस्तर हैं.डॉक्टरों के 24 स्वीकृत हैं इसमें से 4 भरे हैं और 20 खाली हैं. इसी तरह वॉर्ड ब्वॉय, टेक्नीशियन जैसे 49 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 18 पद भरे हैं जबकि 31 खाली हैं.
डेढ़ हफ्ते पहले ही भोपाल के कमला नेहरु अस्पताल की आग से सरकार ने आंखें खोलने के बात कही थी, लेकिन ऐसा लगता है कि नींद ज़रा लंबी है. यही कारण है कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग की बदहाल स्थिति को वह नहीं देख पा रही. राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधीन डॉक्टरों के 8904 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 4815 पद भरे हैं, जबकि 4050 पद खाली हैं. यही नहीं, 16 हजार नर्सिंग स्टाफ की कमी है. देश में अभी 11082 लोगों पर औसतन एक सरकारी डॉक्टर है, वहीं मध्यप्रदेश में 16996 लोगों पर एक डॉक्टर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिएस्वास्थ्य विभाग ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से चयनित 432 डॉक्टरों की पोस्टिंग की लेकिन एक महीने बाद भी 130 डॉक्टरों ने ज्वाइनिंग नहीं दी है. कुछ दिनों पहले आए एसआरएस के आंकड़ों ने बताया कि शिशु मृत्यु दर के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति सूडान से भी बदतर है, जहां 1000 में से 46 नवजातों की मौत हो जाती है, देश में ये आंकड़ा 30 का है लेकिन सूबे के हुक्मरानों को शायद इसकी चिंता नहीं है.