मध्य प्रदेश : 100 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में दलित कांस्टेबल ने घोड़ी पर चढ़कर बारात निकाली

संसद में पेश आंकड़े बताते हैं कि दलितों के प्रति अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश देश में चौथे नंबर पर है,जबकि आदिवासियों के प्रति अत्याचार के मामले में पहले नंबर पर.

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जिस शख्स को पुलिस की मौजूदगी में घोड़ी पर चढ़कर सेहरा पहनना पड़ा वो खुद पुलिसकर्मी है

भोपाल:

Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति (SC ST) के खिलाफ अपराध थाम नहीं थम रहे. अकसर संगीनों के साये में सेहरा पहनाया जा रहा है. कुछ दिनों पहले सागर से ऐसा मामला आया था तो अब छतरपुर से. जिस शख्स को पुलिस की मौजूदगी में घोड़ी पर चढ़कर सेहरा पहनना पड़ा वो खुद पुलिसकर्मी है. उधर, दमोह में पिछड़े वर्ग के दूल्हे को अनुसूचित जाति की दुलहन लाना 7 साल बाद भी महंगा पड़ रहा है. बता दें कि संसद में पेश आंकड़े बताते हैं कि दलितों के प्रति अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश देश में चौथे नंबर पर है,जबकि आदिवासियों के प्रति अत्याचार के मामले में पहले नंबर पर. 10 फरवरी को पुलिस की मौजूदगी में छतरपुर के कुंडलया गांव में दयाचंद घोड़ी पर बैठे.

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दयाचंद वैसे खुद टीकमगढ़ कोतवाली में कांस्‍टेबल हैं. ये तस्वीरें दिखाकर प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपाई. बस ये बात प्रशासन चतुराई के साथ छिपा गया कि बारात तो 9 फरवरी की थी और उस दिन गांव में ऊंची जाति के गुंडों ने कथित तौर पर बारात को रोका, गालीगलौज की. कहते हैं अभी तो विभाग के लोग हैं, बाद के लिए आशंकित भी हैं. 

दूल्‍हा दयाचंद अहिरवार ने बताया, 'भीड़भाड़ थी. बच्चे आए बोले कि यहां से बारात को निकलने नहीं दिया. सवर्ण समाज के लोग हैं. अभी तो विभाग खड़ा है बाद में जाएंगे तो लेकिन थोड़ी पता चलेगा क्या हो रहा है क्या नहीं? राज्‍य के गृह मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने कहा, 'विषय संज्ञान में आया. बारात नहीं रुकी, न रोकी गयी. शादी के पहले की रस्म थी, परसों की बात है, कल बारात धूमधाम से निकली है शादी सानंद संपन्न हो गई. 

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दमोह के पौड़ी गांव में तो पिछड़ी जाति के राजेश प्रजापति ने 2015 में अनुसूचित जाति की ज्योति से शादी की 7 साल से सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं. पांच साल के बच्चे तक के साथ गांव के बच्चे खेलते नहीं है.समाज ने जो कहा इन्होंने पूरा किया. कहते हैं कि वापसी के लिये अब भी ₹2 लाख की पेनल्टी मांगी जा रही है. आखिरकार पुलिस से अब इंसाफ के लिये गुहार लगाई है. पत्‍नी ज्योति कहती हैं, 'वे ओबीसी में आते है हम एससी हैं. अठ्या में आते हैं, रिलेशन वाले सम्मान नहीं देते सब अपमानित करते है. छोटा बच्चा है उससे छुआछूत करते हैं.कहते हैं तुम्हारी मम्मी अलग समाज के हैं पिता अलग समाज से हैं.'

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पति राजेश प्रजापति कहते हैं, 'उन्होंने कहा भागवत कथा कर लो,वो हमने कर ली. इसके पहले पैसे मांगे थे वो दिए. फिर मांग रहे हैं कि 2 लाख दो तो समाज में लेंगे हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं.' एसपी दमोह डीआर तेनिवार कहते हैं, 'आवेदन संज्ञान में आया है तो हम परीक्षण करवा लेते हैं अगर नियम विरूद्ध कोई कार्रवाई समाज के लिये कर रहे हैं तो कार्रवाई करेंगे.'कुछ दिनों पहले गुना में मोबाइल चोरी के शक में पीड़ित के सारे कपड़े उतारकर उसे पीटा गया, अब हेतराम गुर्जर और गोलू खान के मकान-दुकान को तोड़ दिया. कुछ दिनों पहले ही सागर के गनियारी गांव में अहिरवार जाति का दूल्हा पुलिस की मौजूदगी में घोड़ी पर तो चढ़ गया लेकिन गांव में वर्चस्व रखने वाले लोधियों को ये नागवार गुजरा. शाम को बारात गांव से चली गई तो उनके घर पर पथराव, गाड़ियों में तोड़-फोड़ हो गई.

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अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध में MP चौथे स्‍थान पर 
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2020 के बीच अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के 1,38,045 मामले दर्ज हुए। जिसमें यूपी,बिहार, राजस्‍थानके बाद 16952 मामलों के साथ मध्‍य प्रदेश चौथे नंबर पर रहाहालांकि 2020 में आदिवासियों के उत्पीड़न में 20 मामले बढ़े, 2401 मामलों के साथ मध्यप्रदेश पहले नंबर पर रहा.

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