क्या मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण से मौतों के आंकड़े छुपा रही है सरकार?

भोपाल में सिर्फ एक विश्राम घाट पर 37 शव जलाए गए और पांच शव कब्रिस्तान में दफन किए गए, सरकार के मुताबिक पूरे राज्य में 37 लोगों की मौत हुई

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भोपाल में भदभदा विश्राम घाट पर 37 शवों का अंतिम संस्कार किया गया.
भोपाल:

Madhya Pradesh Coronavirus: क्या मध्यप्रदेश में कोरोना से मौत के आंकड़ों को छुपाया जा रहा है? यह सवाल इसलिए क्योंकि सरकारी आंकड़े और श्मशान पहुंच रहे शवों की संख्या में गंभीर विसंगतियां हैं. राजधानी भोपाल में अकेले भदभदा विश्राम घाट पर ही सोमवार शाम 6 बजे तक 37 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, पांच शवों को क​ब्रिस्तान में दफनाया गया. दूसरी ओर सरकार की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन में पूरे राज्य में 37 लोगों की मौत का आंकड़ा बताया गया है.
      
भदभदा विश्रामगृह में अपने बड़े भाई के शव के अंतिम संस्कार के आए बीएन पांडे को इतनी लाशें देखकर भोपाल गैस कांड का खौफनाक मंज़र याद आ गया. उन्होंने कहा कि 1984 में गैस कांड के पीड़ितों के बाद ऐसा मंजर देखने को मिल रहा है, उस वक्त तो मैं नवीं में पढ़ता था... मेरे सामने 2-3 घंटों में 30-40 लाशें जल चुकी हैं.
     
यह और बात है कि सरकारी बुलेटिन में पूरे राज्य में 37 लोगों की कोरोना से मौत की बात लिखी है, जितनी एक श्मशान में जलाई गई. खैर... यहां कोविड मरीजों के शव को नगर निगम की गाड़ी सीधे अस्पताल से विश्राम घाट के पिछले गेट पर लेकर आती है. यहां एक अलग व्यवस्था बनाई गई है ताकि सामान्य अंतिम संस्कार वाले लोग संक्रमण से सुरक्षित रहें. लेकिन जो अपनों के अंतिम दर्शन करने आए, वो भीड़ से परेशान हो गए.

अपने बहनोई के अंतिम संस्कार के लिए आए संतोष रघुवंशी ने कहा 3-4 घंटे से बैठे हैं, चारों तरफ लाशें जल रही हैं क्रिया कर्म कर ही नहीं सकते, जितनी लाशें हैं उसके हिसाब से यहां जगह ही नहीं है. अव्यवस्था एक बात है, लेकिन मौत के आंकड़ों में असामनता दूसरी...

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आठ अप्रैल को भदभदा में 31 शवों सहित शहर में 41 शवों का कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया, जबकि उस दिन सरकारी मेडिकल बुलेटिन में पूरे प्रदेश में 27 लोगों की संक्रमण से मौत की बात कही गई. 9 अप्रैल को 35, सरकारी बुलेटिन में 23 लोगों की मौत. 10 अप्रैल को 56, सरकारी बुलेटिन में 24 लोगों की मौत. 11 अप्रैल को 68, सरकारी बुलेटिन में 24 लोगों की मौत और 12 अप्रैल को शहर में 59 शवों का कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार हुआ, जबकि सरकारी बुलेटिन में पूरे राज्य में 37 लोगों की मौत बताई गई.
    
हालांकि सरकार का कहना है कि वो कोई आंकड़े नहीं छिपा रही है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा सरकार की कोई मंशा नहीं है कि मृत्यु के आंकड़े को छिपाया जाए ऐसा करके हमें कोई अवॉर्ड नहीं मिलने वाला.
      
पिछले सप्ताह अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी कम पड़ जाने की बात भी सामने आई थी. विश्रामगृह में काम करने वाले रईस खान ने हमें बताया कि वहां रोज़ 100-150 क्विंटल लकड़ी काटी जा रही है, बीच में कमी हो रही थी लेकिन अब ठीक है. रोज़ाना वहां 40-45 शव आ रहे हैं.
    
इन श्मशानों में काम करने वाले कर्मचारी भी अब थकने लगे हैं, हाथों में छाले पड़ गये हैं, कइयों को चोट लगी है. यहां काम करने वाले प्रदीप कनौजिया कहते हैं अब यहां ज्यादा शव आ रहे हैं, कमजोरी हो रही है थकान हो रही है ... डर लगता था पहले ... अब भी शव के साथ पब्लिक ज्यादा आ रही है, भीड़ हो जाती है, पानी पिये जाते हैं खाना खाने का टाइम नहीं मिलता.
    
सरकारी आंकड़ों में बाजीगरी के बीच, एक हकीकत ये है कि जलती चिताओं के बीच बेहद नजदीक दूसरी चिताएं सजाई जा रही हैं, अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है, वो भी तब जब एक चिता ठंडी होने से पहले ही दूसरे शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

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