'यह मकान बिकाऊ है' : खरगोन हिंसा के पीड़ित लोगों ने अपने घरों के बाहर लिखा

संजय नगर एक मुस्लिम समुदाय बहुल इलाका है, जिसमें करीब 20-25 गरीब हिंदू परिवार रहते हैं.

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संजय नगर के कई घरों के बाहर 'यह मकान बिकाऊ है' लिखा है
खरगोन (मध्‍य प्रदेश):

सांप्रदायिक हिंसा से खरगोन के सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक संजय नगर में कई हिंदू परिवारों ने अपने घरों के बाहर 'ये मकान बिकाऊ है' लिख दिया है, जिनमें से कई मकान तो पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए हैं. इसे लिखने वाले मकान मालिकों में से एक हैं राकेश काले, जिन्होंने पीएम आवास योजना के तहत बने अपने घर के बाहर लिखा है. 'यह मकान बिकाऊ है.' उनका कहना है, 'किसी और ने नहीं, बल्कि हमने खुद से लिखा है. क्योंकि हम 1992 के बाद से कम से कम चार बार सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगाइयों का निशाना बन चुके हैं. हर बार सांप्रदायिकता में हम अपनी संपत्ति खोने के बाद दोबारा से जीवन शुरू करते हैं. फिर एक दंगा होता है, और फिर उसका शिकार हो जाते हैं. इस बार फिर से, आसपास के इलाकों के दंगाइयों ने मेरे घर में घुसकर आग लगाने की कोशिश की.'

दिहाड़ी मजदूर की पत्नी कामिनी अपने पति के बातों से सहमति जताते हुए कहा कि केवल मेरा परिवार ही नहीं, बल्कि दूसरे हिंदू परिवार भी अपना घर बेचना चाहते हैं और शांतिपूर्ण और सुरक्षित जीवन जीना चाहते हैं. खरगोन की जिला कलेक्टर अनुग्रह पी ने कहा कि ये घरों के बाहर 'यह मकान बिकाऊ' है, बाहरी लोगों की करतूत है, जो इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहते हैं. उसी वक्त केवल काले उनके सामने कहते हैं कि बाहरी लोगों ने नहीं, बल्कि उन्होंने खुद अपने घर के बाहर यह लाइन लिखी है.काले ने कहा कि उन्होंने घर के बाहर खुद 'हाउस ऑन सेल' लिखा था, न केवल काले परिवार, बल्कि पड़ोसी सतीश (जो कि पेशे से ड्राइवर हैं) भी पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए अपना घर बेचना चाहते हैं. 

कुछ ही घर दूर, प्रीति चंदोले ने हमें दिखाया कि 10 अप्रैल की रामनवमी की शाम को दंगाइयों ने उनके घर पर क्या किया. "जब मैं खेत में अपने भाई की मदद कर रही थी, मेरी मां और छोटा भतीजा घर में अकेला था. दोनों घर से भाग गए, जिसके बाद दंगाइयों ने संपत्ति को आग लगा दी. दंगाई बर्तन और ताजा कटा हुआ गेहूं भी लूट ले गए. पिछले कुछ वर्षों में यह तीसरी बार घर पर हमला किया गया है और जला दिया गया. हमारे पास घर को बेचने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.'

इलाके की एक अन्य निवासी, दिहाड़ी मजदूर मंजुला बाई (जो विधवा बहू और दो पोते के साथ रहती हैं) ने हाल के दंगों में लगभग सब कुछ खो दिया. वो बताती हैं, 'उन्होंने लगभग पूरे घर को जला दिया, जब हम अपनी जान बचाने के लिए भाग गए. हमारे टीवी को तोड़ दिया गया, अलमारी से कीमती सामान लूट लिया गया और यहां तक ​​​​कि प्याज का स्टॉक भी लूट लिया गया और आग लगा दी गई. जिला कलेक्टर ने हमारे नुकसान के लिए मुआवजे का आश्वासन दिया है, उम्मीद है कि यह हमें जल्दी मिल जाए और हम दोबारा से जिंदगी शुरू कर सकें.'

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संजय नगर एक मुस्लिम समुदाय बहुल इलाका है, जिसमें करीब 20-25 गरीब हिंदू परिवार रहते हैं.तालाब चौक क्षेत्र में रामनवमी जुलूस पर हमले के बाद 10 अप्रैल की शाम को हिंसा भड़कने के बाद, पड़ोसी संजय नगर, पहला अन्य इलाका था जहां दंगाइयों ने विशेष समुदाय के घरों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की थी.

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खरगोन की जिला कलेक्टर अनुग्रह पी ने यह दोहराते हुए कि स्थानीय नहीं,  बल्कि बाहरी लोगों ने घर बेचने की लाइन मकानों के बाहर लिखी है.  उन्‍होंने कहा कि दोनों समुदायों को एक-दूसरे से कोई समस्या नहीं है और उन्होंने अतीत की तरह एक साथ रहने का संकल्प लिया है.साथ ही कलेक्टर ने कहा, 'संजय नगर और भावसर मोहल्ला में कुछ परिवार हाल की हिंसा के दौरान हुए नुकसान के कारण भविष्य को लेकर आशंकित हैं. लेकिन उन्होंने अब सुरक्षा के हमारे आश्वासन के बाद वापस रहने का फैसला किया है."

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