कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार को महाकाल नगरी उज्जैन पहुंची. बाबा महाकाल के दर्शन करने के साथ राहुल ने उज्जैन में जनसभा को भी संबोधित किया. सभा में 'जय महाकाल' का उद्घोष करते हुए उन्होंने कहा, "अब तकरीबन 80 दिन हो गए है भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर जा रही है और आज हम आपके इस पवित्र शहर में आए है. हम सबने दर्शन किए और बहुत अच्छा लगा. ये आपका जो शहर है, जो महाकाल मंदिर है, शिवजी का मंदिर है. आज हम शिवजी का नाम लेते हैं, क्यों लेते हैं? हिंदुस्तान भगवान शिव को मानता है तो क्यों मानता है? आप में से कोई बता सकता है? (भीड़ में से आवाज आई तपस्वी थे) ये संसार के सबसे बड़े तपस्वियों को हिंदुस्तान मानता है. हिंदू धर्म में तपस्वियों की पूजा होती है. हम तपस्वियों का आदर करते हैं, उनके सामने हाथ जोड़ते हैं, तो इस देश में ये तपस्वी कौन हैं ?
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, " हमने कन्याकुमारी से यात्रा की, बहुत बड़ी तपस्या की. ये कोई बड़ी तपस्या नहीं है, इसमें कुछ नहीं है. मैं आपको बताता हूं, हिंदुस्तान में तपस्या कौन करता है. सबसे पहले कोविड के समय में जो मजदूर बैंगलोर से, मुंबई से, पंजाब से, देश के एक कोने से दूसरे कोने पैदल गए, वो तपस्या करते हैं. दूसरे नंबर पर, जो इस देश को भोजन देते हैं, करोड़ों किसान और उनके परिवार 4 बजे सुबह उठकर हर रोज तपस्या करते हैं. बढ़ई, नाई, माली, इलेक्ट्रिशियन, छोटे दुकानदार, मजदूर- ये सब तपस्या करते हैं. रोज करते हैं, जिंदगीभर करते हैं और तपस्या करते-करते चले जाते हैं, सही? ये तो कुछ नहीं है (भारत जोड़ो यात्रा के बारे में कहा). ये तो तीन महीने की तपस्या है, 5-6 घंटे, 8 घंटे लगा लो. थोड़ा सा घुटने में दर्द होता है, थोड़ी सी प्यास लगती है. तपस्या किसान करता है, मजदूर करता है.
उन्होंने कहा, "अब मेरा सवाल है, हिंदू धर्म कहता है कि तपस्वियों की पूजा होनी चाहिए तो इस देश में तपस्वियों की पूजा क्यों नहीं हो रही है? जो तपस्या कर रहा है, उसको इस देश की सरकार कुछ नहीं देती और जो नरेन्द्र मोदी जी की पूजा कर रहा है, उसको सारा का सारा दे देती है. दो लोग नरेन्द्र मोदी जी की पूजा करते हैं और उनको जो भी चाहिए, मिल जाता है- रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट. ये देखो भईया, ड्रोन उड़ रहा है, ये भी ले जाएंगे उठाकर (ड्रोन को देखकर कहा), सड़कें, बिजली, पानी सब कुछ. दो लोग, पांच लोग प्रधानमंत्री की पूजा करते हैं और हिंदुस्तान का सारा धन उनके हवाले कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सड़कों पर हजारों किसानों से मैंने हाथ मिलाया है और हर एक किसान मुझसे ये पूछ रहा है कि राहुल जी, इस देश में हम तपस्या करते हैं, इस तपस्या का हमें फल क्यों नहीं मिलता? फर्टिलाइजर क्यों नहीं मिलता और जब मिलता है, इतना महंगा क्यों है? हमें अपनी मेहनत के लिए सही दाम क्यों नहीं मिलता? हम बीमा का पैसा भरते हैं, तूफान आता है, आंधी आती है, खेत बर्बाद हो जाता है. रोना आता है और जब हम बीमा की प्राइवेट कंपनी को फोन करते हैं, फोन नंबर पर कोई फोन नहीं उठाता. इंटरनेट पर सब कुछ मिल जाता है, मगर किसान को जो बीमा देने वाली कंपनी होती है, उसका एड्रेस (लोकल एड्रेस) नहीं मिलता.
राहुल ने आगे कहा, "छोटा दुकानदार सुबह उठता है, उसके साथ 2-3 लोग काम करते हैं. दिनभर काम करता है. कभी-कभी किसी को पैसे की जरूरत होती है, वो भी दे देता है, काम करता है. उसके पास इतना पैसा नहीं होता, जैसा बड़े उद्योगपति के पास होते हैं. उनके पास करोड़ों रुपए होते हैं. तो अगर बड़े उद्योगपतियों का कैश फ्लो रुक जाए, जैसे कोरोना के समय हुआ, उनको कोई मुश्किल नहीं होती, एक महीना, दो महीना, तीन महीना, चार महीना, छः महीना, एक साल उनका कैश फ्लो रोक लो, कोई प्रॉब्लम नहीं है. इन बेचारों का कैश फ्लो, 15 दिन, एक महीना रोक दिया, तो आपने इनका गला घोंट दिया. मतलब यूं पकड़ लिया (गला पकड़कर समझाते हुए कहा) और अगर आपने दो महीने कर दिया, तो आप इनको मार दोगे, खत्म कर दोगे. मैं इन दुकानदारों की, स्मॉल और मीडियम बिजनेस की बात इसलिए करता हूं क्योंकि यही लोग देश को रोजगार देते हैं. मतलब, पूरा जुड़ा हुआ है. ये लोग देश को रोजगार देते हैं, युवाओं को काम देते हैं, तो पूरा सिस्टम जुड़ा हुआ है. किसान लोगों को भोजन देते हैं तो बैलेंस की जरूरत होती है." उन्होंने कहा कि नुकसान देश का हो रहा है. युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है और मिल नहीं सकता क्योंकि आपने वो रीढ़ की हड्डी तोड़ दी, नोटबंदी करके और जीएसटी करके. कोविड में जो आपने किया, अरबपतियों का कर्जा माफ कर दिया, इनको छोड़ दिया. एक रुपया तक नहीं दिया इनको तो आपने रीढ़ की हड्डी तोड़ दी. इसको अब फिर से बनाना पड़ेगा, फिर से जोड़ना पड़ेगा, तब जाकर हिंदुस्तान को रोजगार मिलेगा."
भारत जोड़ो यात्रा के बारे में उन्होंने कहा, "ये कांग्रेस पार्टी की यात्रा नहीं है. ये हिंदुस्तान की यात्रा है, किसानों की यात्रा है, मजदूरों की यात्रा है, छोटे दुकानदारों की यात्रा है. युवाओं, बुजुर्गों, माताओं और बहनों की यात्रा है. प्रेस वालों की यात्रा है, वे लिख नहीं पा रहे है, मगर है इनकी और सारे के सारे लोग अपने तरीके से इस यात्रा की मदद कर रहे हैं. बच्चों ने पिग्गी बैंक (गुल्लक) दिया. दो बच्चों ने महीनों पैसे बचाकर पिग्गी बैंक दिया, कोई पानी दे रहा है, कोई परांठे दे रहा है, कोई अनाज दे रहा है, कोई घर से चाय ला रहा है, कोई चल रहा है. कोई चिट्ठी लिख रहा है कि मैं आपके साथ चल नहीं सकता हूं, मैं डरता हूं, सरकार से डरता हूँ, मगर मैं आपके साथ हूं." अपने संबोधन के आखिर में राहुल ने इस प्यार और आपकी मदद के लिए दिल से सभी को धन्यवाद दिया.
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