विशालगढ़ किले में पशु बलि पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इंकार, जानें क्या कुछ कहा

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल ने कहा कि पहले भी इसकी अनुमति थी, चाहे कोई भी धर्म या आस्था हो, वहां बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां होती हैं. त्रिपुरा हाईकोर्ट में मैने पशु वध पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश दिया था. लेकिन इस न्यायालय ने कुछ प्रतिबंधों के साथ इसकी अनुमति दी है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह विनियमित क्षेत्र में किया जाए तथा भीड़ एकत्र न हो.

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मुंबई:

सुप्रीम कोर्ट ने कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में बकरीद के दौरान पशु बलि की अनुमति देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. ईद पर कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में पशु बलि की अनुमति देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि यह एक संरक्षित स्मारक है. इसलिए उन्होंने आज सुनवाई का अनुरोध किया है क्योंकि कल शनिवार को ईद है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

इस याचिका में बकरीद से लेकर उर्स तक संरक्षित मस्जिद में धार्मिक गतिविधि की अनुमति दी गई है. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल ने कहा कि पहले भी इसकी अनुमति थी, चाहे कोई भी धर्म या आस्था हो, वहां बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां होती हैं. त्रिपुरा हाईकोर्ट में मैने पशु वध पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश दिया था. लेकिन इस न्यायालय ने कुछ प्रतिबंधों के साथ इसकी अनुमति दी है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह विनियमित क्षेत्र में किया जाए तथा भीड़ एकत्र न हो. यदि हम नोटिस जारी भी कर दें तो भी जब तक हम उस पर सुनवाई करेंगे तब तक वह बेअसर हो जाएगा.

दरगाह पर पशुओं की बलि देने को दी अनुमति

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बकरीद त्योहार के अलावा महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर आयोजित उर्स के मौके पर पशुओं की बलि (कुर्बानी) देने को अनुमति दे दी थी. किला एक संरक्षित स्मारक है, जिसका हवाला देते हुए अधिकारियों ने परिसर में जानवरों और पक्षियों की बलि देने पर रोक लगा दी थी. जस्टिस नीला गोखले और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने हजरत पीर मलिक रेहान दरगाह न्यास की एक अर्जी पर सुनवाई की, जिसमें जानवरों की बलि (कुर्बानी) देने की अनुमति मांगी गई थी.

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इस मामले में न्यास की क्या दलील

पीठ ने सात जून को मनाए जाने वाले बकरीद के त्योहार और विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर आठ से 12 जून तक आयोजित होने वाले चार-दिवसीय उर्स (मेला) के दौरान पशुओं की बलि देने की अनुमति दे दी. तब अदालत ने कहा कि यह आदेश न केवल दरगाह न्यास पर लागू होगा, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं पर भी लागू होगा. पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक ने महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम का हवाला देते हुए किले में पशु बलि पर रोक लगा दी थी. लेकिन न्यास ने दलील दी कि बलि एक ‘पुरानी प्रथा' है, जो किले से 1.4 किलोमीटर दूर निजी भूमि पर दी जाती है और मांस को तीर्थयात्रियों और आसपास के ग्रामीणों में वितरित किया जाता है.

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