शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े की उम्मीदवार को मुंबई उपचुनाव लड़ने के लिए मंजूरी दे दी गई, बंबई उच्च न्यायालय ने आज शहर के नगर निकाय को उनका इस्तीफा स्वीकार करने का आदेश दिया. यह आदेश ठाकरे गुट के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया, जिसने एकनाथ शिंदे सरकार पर उम्मीदवार को फंसाए रखने के लिए नागरिक निकाय पर दबाव डालने का आरोप लगाया था.
कल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि होने के कारण, यदि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता तो रुतुजा लटके समय पर नामांकन नहीं कर पातीं. नागरिक निकाय प्रमुख ने अपना समय लेने पर जोर देते हुए तर्क दिया था कि नियमों के तहत, उनके पास अपना निर्णय लेने के लिए एक महीने का समय है. हालांकि, बृहन्मुंबई आयुक्त इकबाल चहल ने किसी भी राजनीतिक दबाव से इनकार किया था.
इस्तीफा स्वीकार नहीं होने को लेकर लटके की एक याचिका के बाद, उच्च न्यायालय ने आज नगर निकाय को कल सुबह 11 बजे तक उन्हें अपना स्वीकृति पत्र देने का आदेश दिया. अदालत ने नगर निकाय प्रमुख इकबाल चहल को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि नगर आयुक्त "अपने विवेक का उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं और निर्णय ले रहे हैं."
"अगर कोई कर्मचारी इस्तीफा देना चाहता है और चुनाव लड़ना चाहता है, तो क्या मुश्किल है? याचिकाकर्ता एक क्लर्क है. यह सिर्फ एक नियोक्ता-कर्मचारी विवाद है. यह ऐसा मामला भी नहीं है, जिसे अदालत में आना चाहिए था. आयुक्त जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख की बेंच ने कहा, " कमिश्नर को तो अब तक ऐसा खुद ही करना चाहिए था."
रुतुजा लटके शिवसेना के मौजूदा विधायक रमेश लटके की पत्नी हैं, जिनका इस साल निधन हो गया, जिससे उपचुनाव जरूरी हो गया. ठाकरे गुट ने कहा कि उन्होंने शुरू में 2 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कागजी कार्रवाई में एक गड़बड़ थी और उन्हें एक नया देना पड़ा, लेकिन बीएमसी इसे स्वीकार करने से कतरा रही थी.
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