Nagpur Violence: क्या 'छावा फिल्म' से भड़के लोग?
Nagpur violence: मुगल शासक औरंगजेब को लेकर उठीं नफरत की लपटों में सोमवार रात सेंट्रल नागपुर झुलस गया. क्या यह एक सोची समझी साजिश थी? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि वहां पत्थरों का ढेर मिला है. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के विरोध प्रदर्शन के बीच एक अफवाह से फैली हिंसा में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया. दर्जनों गाड़ियां स्वाहा कर दी गईं. हाथों में पत्थर लिए भीड़ ने पुलिस को भी नहीं बख्शा. स्थानीय लोगों का कहना है कि उपद्रवी घर के अंदर तक घुसे और तोड़फोड़ की. गाड़ियों को जला दिया गया. नागपुर में हुई इस हिंसा के लिए जिम्मेदार कौन है? औरंगजेब को लेकर जारी तनाव की आड़ में क्या जानबूझकर चिंगारी को भड़काया गया? इस पर सियासत गर्म है. शिवसेना और बीजेपी नेता इसे सुनियोजित साजिश बता रहे हैं. महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि औरंगजेब का समर्थन करने वाले देशद्रोही हैं, उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा.
NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में यह सामने आया कि सेंट्रल नागपुर वाले जिस एरिया में हिंसा हुई, वहां काफी पत्थर मौजूद थे. इन पत्थरों का साइज भी काफी बड़ा था. यहां पूरा सीमेंट का रोड है. फिर यहां इतने पत्थर कैसे आए. क्या पत्थरों को कहीं ओर से लाया गया था? क्या हिंसा का पूरा प्लान तैयार था? इन सवालों के जवाब पुलिस तलाशने में लगी हुई है.
पहला सवाल- क्या साजिश के तहत नागपुर में हिंसा हुई?
सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने विधानसभा में कहा कि यह हिंसक घटना और दंगे पूर्व नियोजित प्रतीत होते हैं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नागपुर हिंसा को सोची समझी साजिश करार दिया. उन्होंने कहा, 'समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी से मामले की शुरुआत हुई. इसके बाद यह मुद्दा बढ़ता चला गया. इसमें कोई दो राय नहीं कि औरंगजेब ने हमारे मंदिरों को तोड़ा, ये इतिहास में दर्ज है. औरंगजेब के मुद्दे पर नागपुर में हिंसा नहीं होनी चाहिए थी. लेकिन हिंसा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ हम कड़ा ऐक्शन लेंगे. साजिश के तहत नागपुर में हिंसा हुई. इस दौरान घरों और गाड़ियों को पहचान कर टारगेट किया गया. ऐसा लग रहा है कि हिंसा का पूरा प्लान तैयार था.' क्या साजिश के तहत नागपुर में हिंसा हुई? इस बात की आशंका एकनाथ शिंदे ही नहीं, बल्कि कई अन्य लोग भी जता रहे हैं. पुलिस इस मामले में हर एंगल से जांच कर रही है.
दूसरा सवाल- नागपुर हिंसा की किसने रची साजिश?
नागपुर हिंसा के मामले में पुलिस कई एंगल से जांच कर रही है. इसमें साजिश का एंगल भी शामिल है. हिंसा वाली जगह पर 300-400 लोग मौजूद थे. पुलिस उपद्रवियों की पहचान करने के लिए इलाके के सभी CCTV खंगाल रही है. उपद्रवियों के खिलाफ सख्त एक्शन के आदेश दिये गए हैं. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने आरोप लगाया है कि औरंगजेब पर खड़े हुए विवाद की शुरुआत समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के बयान से हुई थी. इस बयान में उन्होंने औरंगजेब को नेकदिल बादशाह बताया था. इसके बाद पूरा विवाद खड़ा हुआ. क्या सिर्फ यही वजह रही नागपुर में हिंसा होने की?
तीसरा सवाल- क्या 'छावा फिल्म' से भड़के लोग?
फिल्म 'छावा' देखने के बाद औरंगजेब और मुगल शासन के खिलाफ लोगों का गुस्सा काफी बढ़ गया, इसके कोई दो राय नहीं है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज को कैद कर यातनाएं दी थीं. हालांकि, नागपुर हिंसा पर विधानसभा में बोलते हुए महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा, 'मैं 'छावा' फिल्म को दोष नहीं देना चाहता हूं. इस फिल्म में संभाजी महाराज का शौर्य दिखाया गया है और बताया गया है कि कैसे औरंगजेब ने संभाजी महाराज को यातनाएं दी. इसे देख लोगों में मुगल शासन के खिलाफ रोष है.' वहीं, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी कहा कि 'छावा' फिल्म में औरंगजेब ने जिस तरह से सांभाजी की हत्या की थी, उसे देखकर लोगों में औरंगजेब के खिलाफ आक्रोश और बढ़ गया है.
चौथा सवाल- क्या VHP और बजरंग दल का विरोध प्रदर्शन बना वजह?
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने कुछ दिनों पहले ही यह ऐलान कर दिया था कि वे औरंगजेब की क्रब को हटाने के लिए 17 मार्च को पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन करेंगे. इन्होंने 'कारसेवा' करने की भी चेतावनी दे डाली थी. सोमवार दोपहर तक विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन शाम होते-होते नागपुर सेंट्रल के महाल में हिंसा भड़क गई और दो पक्षों में जमकर पत्थरबाजी हुई. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच अफवाह फैलाई गई कि धार्मिक सामग्री वाली चीजे जला दी गईं. यह एक सुनियोजित हमला लगता है. हिंसा वाले स्थान पर एक ट्रॉली भरकर पत्थर मिले हैं. क्या, एक विशेष समुदाय ने हिंसा करने की पहले से तैयारी कर ली थी?
पांचवां सवाल- क्या अफवाहों की वजह से भड़की हिंसा?
नागपुर के संरक्षक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मंगलवार को बताया कि शहर में हुई हिंसा के सिलसिले में कम से कम 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हिंसा के दौरान 34 पुलिसकर्मी तथा पांच अन्य लोग घायल हुए हैं. मंत्री ने बताया कि हिंसा के दौरान 45 वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई और उन्होंने सभी समुदायों के सदस्यों से शहर में शांति बनाए रखने तथा किसी भी असामाजिक तत्व का समर्थन नहीं करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. डीसीपी नागपुर अर्चित चांडक ने बताया, 'हिंसा की घटना कुछ गलतफहमी के कारण हुई. स्थिति अभी नियंत्रण में है. यहां हमारा बल मजबूत है. मैं सभी से अपील करता हूं कि वे बाहर न निकलें...या पत्थरबाजी न करें. दरअसल, सोमवार को नागपुर में हिंसा भड़ने की वजह दो अफवाहें थी. नागपुर में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के विरोध प्रदर्शन के बीच पहली अफवाह यह फैली कि एक धार्मिक ग्रंथ को नुकसान पहुंचाया गया है. वहीं, दूसरी अफवाह कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ये फैलाई गई कि पवित्र चादर को आग लगा दी गई है. हालांकि, कहीं कुछ ऐसा हुआ ही नहीं था. इन अफवाहों से एक समुदाय विशेष के लोग भड़क गए और सड़कों पर उतर आए.