महाराष्ट्र में महानगरपालिका चुनावों की सरगर्मी के बीच दलबदल का खेल चरम पर है.ठाणे में एक ओर जहां निष्ठावान कार्यकर्ता टिकट न मिलने से नाराज हैं, वहीं दूसरी ओर कुख्यात हिस्ट्रीशीटर मयूर शिंदे महज 8 दिनों के भीतर दो पार्टियां बदलकर उम्मीदवारी हासिल करने में कामयाब रहा है. मयूर शिंदे ने 30 दिसंबर को नामांकन के आखिरी दिन अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की ओर से अपना पर्चा दाखिल किया.
8 दिनों का राजनीतिक ड्रामा
मयूर शिंदे 22 दिसंबर 2025 तक एकनाथ शिंदे की शिवसेना में सक्रिय था. इसके बाद 23 दिसंबर को उसने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. सावरकर नगर (प्रभाग क्रमांक 14) से टिकट की उम्मीद में उसने भाजपा में प्रवेश किया था, लेकिन वहां टिकट पक्का न होते देख उसने नामांकन के अंतिम समय में पाला बदला और अजीत पवार की NCP में शामिल होकर उम्मीदवारी हासिल कर ली.
अपराधिक इतिहास और विवाद
मयूर शिंदे का नाम ठाणे के कुख्यात अपराधियों में शुमार है. उस पर हत्या, हत्या के प्रयास और जबरन वसूली जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं, उस पर मकोका (MCOCA) के तहत भी कार्रवाई की जा चुकी है. वह चर्चा में तब आया था जब उसे उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत को धमकी देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. साल 2017 में उसने अविभाजित शिवसेना से टिकट मांगा था, लेकिन तब उसे नकार दिया गया था.
ठाणे का चुनावी समीकरण
ठाणे महानगरपालिका की कुल 131 सीटों के लिए होने वाले इस चुनाव में गठबंधन के समीकरण काफी दिलचस्प हैं:
महायुती: भाजपा 40 सीटों पर और शिवसेना (शिंदे गुट) 87 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
नया गठबंधन: राज ठाकरे की मनसे (MNS) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने मुंबई की तर्ज पर ठाणे में भी हाथ मिलाया है.
स्वतंत्र: कांग्रेस और अजीत पवार की NCP ने ठाणे की सभी 131 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
ठाणे में 15 जनवरी 2026 को मतदान होगा और 16 जनवरी 2026 को नतीजे घोषित किए जाएंगे. अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने के कारण अब ठाणे की राजनीति में शुचिता पर सवाल उठने लगे हैं.
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