MNS फिर भड़का, गुजराती vs मराठी मुद्दे पर घेरे में आया गिरगांव का रेस्टोरेंट

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने रेस्टोरेंट मालिक को 15 दिनों के भीतर मराठी भाषा के सम्मान में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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  • रेस्टोरेंट में मेन्यू गुजराती भाषा में थे और यहां लेन-देन भी गुजराती में ही किया जा रहा था.
  • MNS ने रेस्टोरेंट मालिक से मराठी में मेन्यू, साइनबोर्ड के न होने का विरोध जताया और कार्रवाई करने को कहा.
  • इसी साल जुलाई में मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई ढाबों पर लगे गुजराती भाषा के साइनबोर्ड हटाए गए थे.
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मुंबई में गिरगांव में एक रेस्टोरेंट को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के विरोध का सामना करना पड़ा है. रेस्टोरेंट में मेन्यू गुजराती भाषा में थे और यहां लेन-देन भी गुजराती में ही किया जा रहा था. इसी बात पर मनसे कार्यकर्ताओं ने रेस्टोरेंट में जाकर उसके मालिक तो एक पत्र सौंपा जिसमें मराठी में मेन्यू, साइनबोर्ड आदि के न होने का विरोध जताते हुए उचित कार्रवाई करने को कहा गया है. 

MNS ने रेस्टोरेंट मालिक को क्या निर्देश दिया

इस पत्र में लिखा गया, "आप पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र में व्यापार कर रहे हैं. आपके ग्राहकों में मराठी ग्राहकों की एक बड़ी संख्या है. हालांकि, हमने देखा है कि आप मराठी भाषा को कम महत्व का मानते हैं. आपकी दुकान का साइनबोर्ड मराठी में नहीं, बल्कि गुजराती में है. आपकी दुकान के अंदर का साइनबोर्ड ऐसी भाषा में है जिसे केवल गुजराती ही समझ सकते हैं. इसके अलावा, कुछ दिन पहले, जब एक ग्राहक ने मराठी में पक्का बिल मांगा, तो आपने उसे कहा कि आप गुजराती में बिल देंगे. जब बिल स्थानीय भाषा में या स्थानीय लोगों की समझ में आने वाली भाषा में देना अनिवार्य है, तब आप केवल गुजराती भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं."

इसमें इस भी पूछा गया कि क्या दुकानदार जानबूझकर मराठी भाषा की उपेक्षा कर रहे हैं. पत्र में लिखा गया, "आप भूल गए हैं कि महाराष्ट्र राज्य की भाषा मराठी है या आप जानबूझकर अपने रवैये में मराठी की उपेक्षा कर रहे हैं."

साथ ही रेस्टोरेंट मालिक को 15 दिनों के भीतर मराठी के सम्मान में उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया. पत्र के अंत में लिखा गया, "इस पत्र के माध्यम से, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि अगले 15 दिनों के भीतर मराठी भाषा के सम्मान को बनाए रखने के लिए निर्देशानुसार उचित कार्रवाई करें."

इस ज्ञापन में मांग की गई थी कि दुकान का नाम-बैनर और अंदर के सभी बोर्ड मराठी भाषा में किए जाएं. खास बात ये है कि दुकानदार ने मनसे (MNS) के इस निवेदन पत्र पर अपनी दस्तखत गुजराती भाषा में की है.

मनसे ने पहले भी किया है गुजराती साइनबोर्ड का विरोध

बता दें कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गुजराती भाषा का विरोध नया नहीं है. इसी साल जुलाई के महीने में भी मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई ढाबों पर लगे गुजराती भाषा के साइनबोर्ड हटाए गए थे. वहीं कुछ दिनों पहले ही MNS के कार्यकर्ताओं ने मुंबई महानगर क्षेत्र में एक मिठाई की दुकान के मालिक की मराठी न बोलने पर पिटाई कर दी थी. वहीं, मुंबई शेयर बाजार के एक निवेशक के दफ्तर के शीशे के दरवाजे भी तोड़े गए थे क्योंकि उन्होंने कहा था कि वो मराठी नहीं बोलेंगे, साथ ही उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे को चुनौती भी दी थी.

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