- महाराष्ट्र के बीड में बंजारा समुदाय ने अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया
- मराठा समुदाय को हैदराबाद गजेटियर के आधार पर OBC आरक्षण मिला, इसी तर्ज पर बंजारा समुदाय भी ST आरक्षण चाहता है.
- बीड जिले में बंजारा समुदाय की जनसंख्या लगभग दो लाख पचास हजार है, जो चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
हैदराबाद गैजेट के आधार पर बंजारा समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण देने की मांग को लेकर ये समुदाय सोमवार को महाराष्ट्र के बीड में सड़कों पर उतर आया. एनसीपी अजित पवार गुट के बड़े नेता और पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे भी पारंपरिक वेशभूषा में बंजारा समुदाय के इस मार्च में शामिल हुए.
महाराष्ट्र सरकार ने हैदराबाद गजेटियर का हवाला देते हुए मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है, जिससे ज़्यादातर मराठा लोगों को ओबीसी से आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसलिए, जिस तरह हैदराबाद गजेटियर में मिली प्रविष्टि के बाद मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग से आरक्षण देने के लिए जीआर जारी किया गया था. उसी तरह बंजारा समुदाय ने भी गजेटियर प्रविष्टि का हवाला देकर एसटी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर ताकत दिखाना शुरू कर दिया है.
एसटी वर्ग में आरक्षण चाहता है बंजारा समुदाय
बंजारा समुदाय पूरे राज्य से एकजुट होकर एसटी वर्ग से आरक्षण की मांग कर रहा है. इसी सिलसिले में आज बीड में बंजारा समुदाय बड़े ज़ोर-शोर से सड़कों पर उतरा है और ज़िला कलेक्टर कार्यालय के बाहर एक बड़ा मार्च निकाला गया है.
बीड राज्य में मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र है. अनशनकारी मनोज जरांगे पाटिल को सबसे ज़्यादा समर्थन जिस ज़िले से मिला, वह बीड ही है. बीड वह ज़िला भी है जहां ओबीसी नेता, ओबीसी समुदाय के लोग, मराठा नेता और मराठा समुदाय आरक्षण के मुद्दे पर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े हुए थे. इस ज़िले में बंजारा समुदाय के अनुसूचित जनजाति वर्ग से आरक्षण की मांग को लेकर ज़िले के सभी नेता एकजुट दिखे.
बीड के सांसदों समेत 6 विधायकों का समर्थन
बीड से लोकसभा सांसद बजरंग सोनवणे ने बंजारा समुदाय की मांग का खुलकर समर्थन किया है. धनंजय मुंडे बंजारा समुदाय के लिए सड़कों पर उतरे. सुरेश धास, विजय सिंह पंडित ही नहीं, बल्कि ज़िले के सभी 6 विधायकों ने बंजारा समुदाय के अनुसूचित जनजाति वर्ग से आरक्षण की मांग के साथ खड़े होने का फ़ैसला किया है.
बीड ज़िले में बंजारा समुदाय की जनसंख्या लगभग 2.5 लाख है, जबकि 1.9 लाख मतदाता हैं. इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के कारण कोई भी पार्टी इस समुदाय को नाराज़ नहीं कर सकती. बंजारों को नाराज़ करके कोई भी राजनीतिक नुकसान उठा सकता है. इसी के चलते, पदयात्रा में राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति देखी गई.
बंजारा समुदाय की नाराजगी नहीं लेना चाहेगा कोई दल
आगामी स्थानीय स्वशासन चुनावों की पृष्ठभूमि में, बंजारा समुदाय का मार्च राजनीतिक नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है. अगर बंजारा समुदाय का समर्थन मिल जाए, तो कई जिला परिषद और पंचायत समिति निर्वाचन क्षेत्रों में जीत पक्की समझी जाती है. विधायक सुरेश धास, विजयसिंह पंडित, प्रकाश सोलंके, सांसद बजरंग सोनवणे को बंजारा समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग से आरक्षण दिलाने में कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि, हैदराबाद में ऐसे रिकॉर्ड मिले हैं.
मराठा समुदाय के आरक्षण आंदोलन में मराठों की बड़ी आबादी और आंदोलन की ताकत के कारण, सरकार को आखिरकार फैसला लेना पड़ा. अब बंजारा समुदाय के आंदोलन में भी यही तस्वीर देखने को मिल रही है.
बीड के साथ जालना में भी विरोध प्रदर्शन
बंजारा समुदाय का मार्च बीड के साथ, जालना में भी देखा गया. समुदाय ने जालना के जिला कलेक्टर कार्यालय पर उन्हें अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन शहर के मम्मा देवी चौक से निकाला गया. बंजारा वेशभूषा में सजी महिला बहनों ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. प्रदर्शनकारियों ने संकेत दिया कि जब तक बंजारा समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक ऐसे प्रदर्शन जारी रहेंगे.