- ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत करीब 185.84 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की
- अटैच की गई संपत्तियों में मुंबई के 154 फ्लैट और 20 फ्लैट से जुड़े रिसीवेबल्स शामिल हैं
- कपिल वाधवान, धीरज वाधवान अन्य आरोपियों पर 17 बैंकों के कंसोर्टियम को धोखा देने और लोन का गबन करने का आरोप है
प्रवर्तन निदेशालय मुंबई जोनल ऑफिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 185.84 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी तौर पर अटैच किया है. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है. जानकारी के मुताबिक यह मामला डीएचएफएल बैंक फ्रॉड केस का है, जिसमें धीरज वाधवान और कपिल वाधवान समेत अन्य आरोपी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में फंसे हैं.
ईडी के मुताबिक, जिन संपत्तियों को अटैच किया गया है, उनमें मुंबई में 154 फ्लैट और 20 फ्लैट से जुड़े रिसीवेबल्स शामिल हैं. ED की जांच CBI की एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी. आरोप है कि कपिल वाधवान, धीरज वाधवान और DHFL के अन्य पदाधिकारियों ने 17 बैंकों के कंसोर्टियम (जिसका नेतृत्व यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कर रहा था) को धोखा देने के लिए बड़ी साजिश रची.
जांच में सामने आया कि बैंक से लिए गए लोन का गबन और दुरुपयोग किया गया है. कंपनी के हिसाब-किताब में हेरफेर कर लोन की रकम को गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया था. साल 2017-18 में DHFL के फंड को प्रॉक्सी कंपनियों और ICDs (Inter Corporate Deposits) के जरिए DHFL के शेयरों में फर्जी ट्रेडिंग के लिए लगाया गया था.
दलालों (ब्रोकर) के जरिए पहले से तय सौदे करके शेयर के भाव और वॉल्यूम को आर्टिफिशियल तरीके से बढ़ाया-घटाया गया था.
पहले भी हो चुकी है बड़ी कार्रवाई
इससे पहले भी ED ने ₹70.39 करोड़ की संपत्तियां अटैच की थी. साथ ही, 3 अप्रैल 2025 को PMLA कोर्ट, मुंबई में चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिस पर 2 मई 2025 को कोर्ट ने संज्ञान लिया. अब तक इस केस में कुल अटैचमेंट की रकम ₹256.23 करोड़ तक पहुंच चुकी है. ED का कहना है कि मामले में आगे की जांच जारी है और अन्य संपत्तियों और फर्जी लेन-देन की भी जांच की जा रही है.