68 वर्षीय इंदुताई बनीं मिसाल, पोते ने साथ पास की 10वीं की परीक्षा

इंदुताई की मेहनत रंग लाई है और परिवार के साथ-साथ गांववाले भी गर्व महसूस कर रहे हैं. इंदुताई की यह सफलता न सिर्फ उनके लिए व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि समाज के लिए भी एक मजबूत संदेश है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता.

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51 प्रतिशत अंकों के साथ पास की परीक्षा
वर्धा:

उम्र सिर्फ एक संख्या है, यह साबित कर दिखाया है वर्धा जिले के हिंगणघाट तालुका के जामनी गांव की 68 वर्षीय इंदुताई परमेश्वर बोरकर ने. उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास कर न केवल अपने अधूरे सपने पूरे किए. बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा बन गईं. खास बात यह है कि इंदुताई के साथ ही उनके पोते धीरज ने भी इस साल 10वीं की परीक्षा पास की है. इंदुताई को परीक्षा में 51 प्रतिशत अंक मिले हैं, वहीं पोते धीरज ने 75 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. 

दादी-पोते की यह अनोखी जोड़ी एक ही परीक्षा केंद्र में बैठकर पेपर देने पहुंची थी. अब दोनों की सफलता चर्चा का विषय बन गई है. इंदुताई ने अपनी पढ़ाई केवल सातवीं कक्षा तक ही की थी. इसके बाद उनकी शादी हो गई और जिम्मेदारियों ने उन्हें आगे पढ़ने का मौका नहीं दिया. लेकिन पढ़ाई की चाहत उनके मन में हमेशा बनी रही.

पढ़ाई पूरा करने का मौका उन्हें 'प्रथम संस्था' के माध्यम से मिला. जिसने महिलाओं को शिक्षा में दूसरा मौका देने के लिए विशेष पहल की. इंदुताई जामनी गांव में स्वयं सहायता समूह की प्रमुख हैं और गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करती हैं. उन्होंने एक साल तक नियमित रूप से पढ़ाई की और फॉर्म नंबर 17 भरकर 10वीं की परीक्षा में शामिल हुईं.

गांववालों को इंदुताई पर गर्व

हालांकि, इस उम्र में परीक्षा देने को लेकर उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी, लेकिन इंदुताई ने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती.  उनकी सफलता उन सभी लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो उम्र को शिक्षा में बाधा मानते हैं. आज इंदुताई और धीरज, दोनों की मेहनत रंग लाई है और परिवार के साथ-साथ गांववाले भी गर्व महसूस कर रहे हैं. इंदुताई की यह सफलता न सिर्फ उनके लिए व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि समाज के लिए भी एक मजबूत संदेश है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता.

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