Dinkar Jayanti 2025: राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर पढ़िए उनकी खास कविताएं

Ramdhari Singh Dinkar Jayanti 2025: रामधारी दिनकर की कविताएं अक्सर वायरल रहती हैं. पढ़िए दिल छू लेने वाली कविता.

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नई दिल्ली:

Ramdhari Singh Dinkar Jayanti 2025: हिंदी साहित्य की जब भी बात आती है तो रामधारी दिनकर का जिक्र जरूर होता है. उन्हें राष्ट्रकवि के रूप में जाना जाता है. उनकी रचनाएं लोगों के दिलों को छू जाती है. उन्होंने एक से बढ़कर कविताएं और कहानियां निकली है.  बच्चे, बूढ़े, किसान, छात्र, हर कोई उनकी कविताओं से खुद को जोड़ सकता है. उनकी कुछ फेमस रचनाओं में से एक है रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, हुंकार, संस्कृति के चार अध्याय और कुरुक्षेत्र. उनकी कविताओं के वीडियो अक्सर वायरल रहते हैं. 23 सितंबक को उनकी जयंती हैं. 1908 में उनका जन्म बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया ग्राम में हुआ था. उनकी जयंती पर पेश है उनकी कुछ खास पेशकश.

जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है.

वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
कृष्ण की चेतावनी
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
कृष्ण की चेतावनी
हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
कृष्ण की चेतावनी
‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,
भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।

‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
कृष्ण की चेतावनी
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।

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‘भूलोक, अतल, पाताल देख,
गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन,
यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है,
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
कृष्ण की चेतावनी
‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख,
पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख,
मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।

‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन,
साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर,
हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,
छा जाता चारों ओर मरण।
कृष्ण की चेतावनी
‘बाँधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन,
पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?

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‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
कृष्ण की चेतावनी
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।

‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।'
कृष्ण की चेतावनी
थी सभा सन्न, सब लोग डरे,
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे,
धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित,
निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय'! 

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“मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.”


मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.

साहस हो तो सपनों को सच करने की ताकत मिलती है.

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध.

स्वाधीनता केवल अधिकार नहीं, यह जिम्मेदारी भी है.

आग जो भीतर जलती है, वही क्रांति का शंखनाद करती है.

जहां अपमान सहा जाए, वहीं विद्रोह जन्म लेता है.

परिश्रम ही वह कुंजी है जो असंभव को संभव बना देती है.

संघर्ष ही जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है.

जिसे अपने बल पर विश्वास हो, उसे हार कौन दिला सकता है.

वीरता वही है जो कठिनाइयों में मुस्कान बनाए रखे.

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