
प्रतीकात्मक तस्वीर
वर्किंग कपल्स के लिए इनकम की टेंशन उतनी नहीं होती, जितनी उन पैसों के मैनेजमेंट की होती है।
शादी के बाद ‘मेरा’ या ‘तुम्हारा’ कुछ नहीं होता। जो होता है ‘हमारा’ होता है। इसलिए फैमिली ट्रिप और घर खर्च (किराया, पानी-बिजली का बिल, बच्चों की स्कूल फीस, राशन) का भार किसकी जेब पर होगा, रियल एस्टेट-गोल्ड में इनवेस्ट किया तो ईएमआई कौन भरेगा, रिटायरमेंट प्लान्स, फैमिली इंश्योरेंस...ये सारे सवाल अगर साथ बैठकर वक्त रहते सुलझा लिया जाए तो भविष्य तो सुरक्षित होगा ही, आपस का प्यार भी बना रहेगा।
हालांकि इन तमाम सवालों के जवाब फाइनेंशियल एक्सपर्ट से भी बेहतर वो दे सकते हैं जो इन सबसे गुजरे हों। इसलिए हमने बात की कुछ ऐसे ही वर्किंग कपल्स से और जानने की कोशिश की कि वो अपने बिल्स कैसे बांटते हैं।
अगर सैलरी बराबर है
प्रियंबिका सिंह बैंक में पोस्टेड हैं और उनके पति सौरभ शुक्ला एयरफोर्स में। दोनों की सैलरी लगभग बराबर है। महीने की शुरुआत में ही वो अपनी सैलरी का बराबर हिस्सा पूल करते हैं और सारी पेमेंट करते हैं। रही बात इनवेस्टमेंट की तो इसके इनदोनों का एक ज्वॉइंट अकाउंट है। ईएमआई और प्रीमियम की जितनी भी रकम होती है, वो दोनों बराबर इस अकाउंट में जमा करते हैं। फिर उनकी अपनी अपनी सैलरी का जो हिस्सा बचा, वो अपने हिसाब से खर्च करते हैं।
अगर सैलरी में फर्क है
सोनिका राय प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं और उनके पति विशाल वैभव एक आईटी फर्म में टीम लीडर। इस केस में पति की सैलरी ज्यादा है। लेकिन सोनिका-विशाल ने खर्च डिवाइड करने के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया है। हर महीने दोनों अपनी सैलरी का आधा फीसदी हिस्सा पूल करते हैं। जाहिर है इस फॉर्मूले के तहत विशाल की जेब से किटी में ज्यादा पैसे आते हैं। लेकिन दोनों इस बात से खुश हैं कि दोनों अपनी कमाई का बराबर फीसदी हिस्सा शेयर करते हैं।
‘बाई डिफॉल्ट जिम्मेदारी’
हालंकि कुछ शादीशुदा जोड़े ऐसे भी हैं जिनमें भले ही दोनों कमा रहे हों, लेकिन सारी फाइनेंशियल जिम्मेदारी केवल एक पर होती है। हमारी सोसाइटी में जो नियम कायदे हैं, उनके अनुसार घर में पैसे लाने की ‘बाई डिफॉल्ट जिम्मेदारी’ मर्दों की है। ईगो के फेर में ज्यादातर पुरुषों का उनकी पत्नी का घर खर्च में साथ देना पसंद नहीं।
ऐसे लोगों को हम यही सलाह देंगे कि अगर वो ‘फाइनेंशियल बर्डन’ कम करने में अपनी पत्नियों का सहयोग लें ताकि उनके पास खुद के लिए भी कुछ पैसे बचें जिसे वो जैसे चाहें खर्च करें और इंज्वॉय करें। पत्नियों को भी तो पता चले आप कितनी परेशानी झेल रहें हैं।
वैसे भी वाई शुड गर्ल्स हैव ऑल द फन!!!
शादी के बाद ‘मेरा’ या ‘तुम्हारा’ कुछ नहीं होता। जो होता है ‘हमारा’ होता है। इसलिए फैमिली ट्रिप और घर खर्च (किराया, पानी-बिजली का बिल, बच्चों की स्कूल फीस, राशन) का भार किसकी जेब पर होगा, रियल एस्टेट-गोल्ड में इनवेस्ट किया तो ईएमआई कौन भरेगा, रिटायरमेंट प्लान्स, फैमिली इंश्योरेंस...ये सारे सवाल अगर साथ बैठकर वक्त रहते सुलझा लिया जाए तो भविष्य तो सुरक्षित होगा ही, आपस का प्यार भी बना रहेगा।
हालांकि इन तमाम सवालों के जवाब फाइनेंशियल एक्सपर्ट से भी बेहतर वो दे सकते हैं जो इन सबसे गुजरे हों। इसलिए हमने बात की कुछ ऐसे ही वर्किंग कपल्स से और जानने की कोशिश की कि वो अपने बिल्स कैसे बांटते हैं।
अगर सैलरी बराबर है
प्रियंबिका सिंह बैंक में पोस्टेड हैं और उनके पति सौरभ शुक्ला एयरफोर्स में। दोनों की सैलरी लगभग बराबर है। महीने की शुरुआत में ही वो अपनी सैलरी का बराबर हिस्सा पूल करते हैं और सारी पेमेंट करते हैं। रही बात इनवेस्टमेंट की तो इसके इनदोनों का एक ज्वॉइंट अकाउंट है। ईएमआई और प्रीमियम की जितनी भी रकम होती है, वो दोनों बराबर इस अकाउंट में जमा करते हैं। फिर उनकी अपनी अपनी सैलरी का जो हिस्सा बचा, वो अपने हिसाब से खर्च करते हैं।
अगर सैलरी में फर्क है
सोनिका राय प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं और उनके पति विशाल वैभव एक आईटी फर्म में टीम लीडर। इस केस में पति की सैलरी ज्यादा है। लेकिन सोनिका-विशाल ने खर्च डिवाइड करने के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया है। हर महीने दोनों अपनी सैलरी का आधा फीसदी हिस्सा पूल करते हैं। जाहिर है इस फॉर्मूले के तहत विशाल की जेब से किटी में ज्यादा पैसे आते हैं। लेकिन दोनों इस बात से खुश हैं कि दोनों अपनी कमाई का बराबर फीसदी हिस्सा शेयर करते हैं।
‘बाई डिफॉल्ट जिम्मेदारी’
हालंकि कुछ शादीशुदा जोड़े ऐसे भी हैं जिनमें भले ही दोनों कमा रहे हों, लेकिन सारी फाइनेंशियल जिम्मेदारी केवल एक पर होती है। हमारी सोसाइटी में जो नियम कायदे हैं, उनके अनुसार घर में पैसे लाने की ‘बाई डिफॉल्ट जिम्मेदारी’ मर्दों की है। ईगो के फेर में ज्यादातर पुरुषों का उनकी पत्नी का घर खर्च में साथ देना पसंद नहीं।
ऐसे लोगों को हम यही सलाह देंगे कि अगर वो ‘फाइनेंशियल बर्डन’ कम करने में अपनी पत्नियों का सहयोग लें ताकि उनके पास खुद के लिए भी कुछ पैसे बचें जिसे वो जैसे चाहें खर्च करें और इंज्वॉय करें। पत्नियों को भी तो पता चले आप कितनी परेशानी झेल रहें हैं।
वैसे भी वाई शुड गर्ल्स हैव ऑल द फन!!!
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