आपके बच्चे को भी हो सकती है सोशल एंजाइटी, इस तरह करें उसकी Social Anxiety दूर  

Social Anxiety: बहुत से बच्चे सोशल एंजाइटी का शिकार हो जाते हैं. माता-पिता होने के तौर पर आप किस तरह से उनकी मदद कर सकते हैं, जानिए यहां. 

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Parenting Tips: जिस तरह बड़ों को सार्वजनिक जगहों पर लोगों के बीच सोशल एंजाइटी होती है बिल्कुल उसी तरह बच्चे भी सोशल एंजाइटी के शिकार हो सकते हैं. सोशल एंजाइटी (Social Anxiety) एक तरह का सोशल फोबिया है जिसमें बच्चे को दोस्तों से बात करने में भी घबराहट महसूस होने लगती है. बच्चे अपने में दबे-दबे से और डरे हुए नजर आते हैं. सोशल एंजाइटी को इस तरह भी समझा जा सकता है कि इसमें तेज किताब पढ़ने से घबराहट होना, पार्टी में या किसी इवेंट में जाने से झिझकना और लोगों के बीच घबराहट महसूस करके वहां से निकलने का मन होने लगता है. इस तरह की स्थितियों में जब एंजाइटी होती है तो उसे सोशल एंजाइटी कहते हैं. माता-पिता (Parents) अपने बच्चों की सोशल एंजाइटी को कुछ बातों का ध्यान रखकर दूर कर सकते हैं. 

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कैसे करें बच्चों की सोशल एंजाइटी दूर

रिलैक्स महसूस करने की स्ट्रेटजी सिखाएं 


माता-पिता बच्चों को रिलैक्स होने की कुछ तकनीक या स्ट्रेटजी सिखा सकते हैं. जैसे, जब बच्चा सोशल एंजाइटी महसूस करता हो तो उसे कहें कि इस स्थिति में धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें. इससे घबराहट दूर होने में मदद मिलती है. 

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मसल्स प्रेशर कम करवाएं 


बच्चे जब सोशल एंजाइटी महसूस करते हैं तो इस तनाव से उनके शरीर की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं और एंजाइटी बढ़ती है. मसल्स को रिलैक्स करने के लिए बच्चे से कहें कि कसकर मुट्ठी बांधें और धीरे-धीरे खोलकर हाथों को ढीला छोड़ दें. इससे एंजाइटी कम होगी. 

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नकारात्मक ख्यालों को करें दूर 


सोशल एंजाइटी का एक कारण यह भी है कि बच्चों को लगता है कि सभी उन्हें जज करेंगे, उनके बारे में बुरा-भला कहेंगे या फिर उनकी निंदा करेंगे. साथ ही, खुद को लेकर बच्चों के मन में जो नकारात्मक ख्याल (Negative Thoughts) होते हैं उनसे सोशल एंजाइटी बढ़ती है. बच्चों को समझाएं कि किसी भी स्थिति के बारे में नकारात्मक सोचने के बजाय सकारात्मक सोचना सिखाएं. अगर बच्चा सोचता है कि उसे पढ़ने में दिक्कत होती है और टीचर उसे डाटेंगी तो उसे समझाएं कि पढ़ने में दिक्कत होने पर टीचर उसे सिखाएंगी भी. छोटी-छोटी नकारात्मक बातें दिमाग से निकलने पर ही सोशल एंजाइटी कम हो सकेगी. 

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बच्चे के कंफर्ट जोन को पहचानें 


माता-पिता होने के नाते आपको बच्चे को खेलने के लिए, सबसे मिलने के लिए या मेहमानों के सामने डांस करने के लिए कहने के बजाय उसके कंफर्ट जोन को भी समझें. सोशल एंजाइटी ना बढ़ जाए इसका ध्यान भी आपको ही रखना है. 

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