Parenting Tips: जब हम कहते हैं कि बच्चा बिगड़ गया है तो जहन में ख्याल आता है ऐसे बच्चे का जो सभी से झगड़ा करता है, मनमानी करता है, जिसकी बात ना मानी जाए तो चीखता-चिल्लाता है या फिर ऐसा बच्चा जो सभी का अनादर करता है. अगर यही सारी बातें आपको अपने बच्चे में नजर आती हैं तो हो सकता है आपका बच्चा भी बिगड़ने लगा है. लेकिन, बच्चे के इस बिगड़े हुए व्यवहार (Bad Behavior) में आपका कितना हाथ है आपने यह कभी सोचा है? माता-पिता बच्चे को किस तरह से ट्रीट करते हैं, उसे किस तरह की आदतें डलवाते हैं और कौनसे काम करने को कहते हैं या नहीं कहते जैसी छोटी-छोटी बातें ही बच्चे के व्यवहार को निर्धारित करती हैं. आइए जानते हैं माता-पिता (Parents) बच्चे को बिगाड़ने में कितना योगदान देते हैं और बच्चे का व्यवहार किस तरह सुधारा जा सकता है.
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किस तरह बिगड़ जाता है बच्चा
माता-पिता अगर बच्चे को उसकी उम्र से कम ट्रीट करते हैं या जरूरत से ज्यादा पैंपर करते हैं तो बच्चे के बिगड़ने की भी उतनी ही संभावना रहती है. बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है उसे दुनिया की सच्चाई कटाक्ष लगती है और वह अपने कंफर्ट जोन से निकलने से कतराने लगता है. इस तरह बच्चे मनमाने और हर बात के लिए 'ना' कहने वाले हो जाते हैं.
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हर समय ही अगर बच्चे की बात मानी जाए तो बच्चे को 'ना' सुनने की आदत ही नहीं रहती है. ऐसे में जब बच्चे को किसी बात के लिए मना किया जाता है तो वह जहां देखो वहां ही पैर पटकने लगता है, रोता-बिलखता है और तबतक शांत नहीं होता जबतक की उसकी बात सिर-आंखों पर ना रख ली जाए.
जिस तरह हर बात के लिए 'हां' कहने पर बच्चा बिगड़ालू (Spoiled Child) बनता है, उसी तरह हर बात पर ना कहना भी बच्चे को बिगाड़ने वाला साबित होता है. इससे बच्चा झूठ बोलने की आदत डाल लेता है, वह माता-पिता की आंखों में धूल झोंककर अपने मन की करने को ज्यादा अच्छा समझने लगता है.
माता-पिता जब बच्चे के सामने गलत व्यवहार का बखान करते हैं, अपने पैसों की धौंस किसी गरीब पर जमाते हैं, किसी का अपमान करते हैं और झूठ बोलते हैं तो बच्चा भी यह गुण अपने पैरेंट्स से सीखने में देर नहीं लगाता.
बच्चा अगर बिगड़ गया है और उसे बुरी आदतें लग गई हैं तो उसे सुधारने के लिए माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है. आपको बच्चे को 'ना' कहना सीखना होगा, उसकी सही बातों को ही मानें और बुरी बातों को मानने से इंकार करना होगा. बच्चे को सम्मान की भावना सिखानी होगी और उसे बाहरी दुनिया के लिए तैयार करना होगा. बच्चे को जरूरत से ज्यादा लाड़ करना उसके लिए ही परेशानियों का सबब बन सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.