National Child Day 2020: देशभर में हर साल 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे (National Girl Child Day) यानी कि राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद देश की लड़कियों को हर मामले में अधिक से अधिक सहयोग देना और सुविधाएं मुहैया कराना है. इसके साथ ही सदियों से लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर लोगों को जागरूक करना भी नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का मकसद है. हमारे समाज की लड़कियां आज से नहीं बल्कि हमेशा से जीवन के हर मामले में पक्षपात का सामना करती आ रही हैं, फिर चाहे शिक्षा का अधिकार हो, अच्छा खान-पान हो, कानूनी अधिकार, स्वास्थ्य सुविधाएं हो या फिर सुरक्षा और सम्मान देना ही क्यों न हों. यहां तक कि बेहद कम उम्र में लड़कियों का विवाह कर देने की प्रथा उनसे न सिर्फ उनका बचपन छीन लेती है, बल्कि एक तरह से इससे उनके पूरे जीवन को ही हाशिए पर डाल दिया जाता है.
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का इतिहास
भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इसकी पहल 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा की गई थी.
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का महत्व
राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों के विकास को एक अभियान के रूप में मानकर भारत सरकार ने नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की शुरुआत की है. इस अभियान का मकसद देश भर में लोगों को लड़कियों के प्रति जागरुक करना है. साथ ही लोगों को यह बताना है कि समाज निर्माण में महिलाओं का बराबर का योगदान है. इस अभियान के तहत माता-पिता के साथ ही समाज के तमाम तबकों के लोगों को शामिल कर उन्हें इस बात के लिए जागरूक किया जाता है कि लड़कियों के पास भी फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए.
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने के मुख्य रूप से 3 उद्देश्य हैं
- बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जागरुकता बढ़ाना.
- विभिन्न अत्याचार और जिन असमानताओं का बालिकाएं सामना करती हैं उनके बारे में मंच पर बात करना
- लड़कियों के शिक्षा और स्वास्थ्य का महत्व समझाने और इसे बढ़ावा देने के लिए.
कैसे मनाया जाता है नेशनल गर्ल चाइल्ड डे?
नेशनल गर्ल चाइल्ड के तहत ढेरों कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसमें लड़की बचाओ अभियान, सही लिंग अनुपात और लड़कियों के लिए स्वस्थ्य व सुरक्षित माहौल तैयार करने जैसे कार्यक्रम शामिल हैं.
क्यों मनाया जाता है नेशनल गर्ल चाइल्ड डे?
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे इसलिए मनाया जाता है ताकि समाज में लड़कियों की स्थिति बेहतर हो सके. उन्हें हर वो मौका और सुविधाएं मिलें जो लड़कों को बिना कहे ही मिल जाते हैं. साथ ही उन्हें फैसले लेने का अधिकार हो. ये फैसले घर के बारे में हो या फिर निजी ही क्यों न हों. इस तरह के कार्यक्रम मनाने की सबसे बड़ी वजह यही है कि लोगों की उस सोच को बदला जा सके जहां लड़के पहले और लड़कियां बाद में आती हैं. सशक्त समाज के निर्माण केलिए लड़कियों की बराबर की भागीदारी बेहद जरूरी है.
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