Minorities Rights Day 2020: भारत में हर साल 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minorities Rights Day) मनाया जाता है। भारत का संविधान (The constitution of India) सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार प्रदान करता है और इसने भाषाई, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई उपायों को अपनाया है. इसके अलावा यह उन लोगों की देखभाल करता है, जो अनुसूचित जाति के लोगों सहित अपनी जाति, संस्कृति और समुदाय के बावजूद आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित हैं.
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का इतिहास
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस भारत में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities) द्वारा मनाया जाता है, जो धार्मिक सद्भाव, सम्मान और सभी अल्पसंख्यकों के समुदायों की बेहतर समझ पर केंद्रित है. 18 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र ने धार्मिक या भाषाई राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों पर वक्तव्य को अपनाया और प्रसारित किया.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई घोषणा अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक, धार्मिक भाषाई और राष्ट्रीय पहचान को उजागर करती है, जो कि राज्यों द्वारा और व्यक्तिगत क्षेत्रों में सम्मानित और संरक्षित की जाएगी. और यह भी कहा कि यह राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी है, कि वह अल्पसंख्यकों की स्थितियों में सुधार करे और राष्ट्रीय, भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के बारे में जागरूकता फैलाए.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
29 जनवरी 2006 को, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) को सामाजिक न्याय और पर्यावरण मंत्रालय से बाहर किया गया, ताकि अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों जैसे मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन से संबंधित मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सके. अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए यह मंत्रालय समग्र नीति और नियोजन, समन्वय, मूल्यांकन और नियामक ढांचे और विकास कार्यक्रम की समीक्षा करता है.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) की स्थापना की. पांच धार्मिक समुदायों जैसे कि मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी (पारसी) को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है. आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे विभिन्न राज्यों ने अपने राज्यों में राज्य अल्पसंख्यक आयोगों की स्थापना की. उनके कार्यालय भी राज्यों की राजधानी में स्थित हैं.
राज्य आयोग का कार्य संविधान और संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा लागू किए गए कानूनों में प्रदान किए गए अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा और संरक्षण करना है. इसलिए भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर को मनाया जाता है, ताकि लोगों को शिक्षित किया जा सके और भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.
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