एक नए शोध में बताया गया है कि मलेरिया संक्रमण के कारण हृदयघात (हार्ट फेल) होने की 30 फीसदी से अधिक संभावना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2018 के आंकड़ों के अनुसार, मच्छरों के कारण होने वाला यह संक्रमण हर साल दुनिया भर में 21.9 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करता है.
डेनमार्क के हार्लेव जेनटोफ्ट यूनिवर्सिटी अस्पताल के पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फेलो फिलिप ब्रेनिन ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा, "हमने मलेरिया के मामलों में वृद्धि देखी है, जोकि पेंचीदा है. वह इसलिए, क्योंकि इन मामलों में हृदय रोग से संबंधित समस्याओं में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है."
ब्रेनिन ने कहा, "हालांकि हमने मलेरिया के मामलों को कम करने के लिए निवारक उपाय किए हैं, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है."
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शोधकर्ताओं ने जनवरी 1994 से जनवरी 2017 के बीच मलेरिया संक्रमण वाले रोगियों की पहचान की. इस अध्ययन में रोगियों की औसत आयु 34 थी, जिसमें 58 फीसदी पुरुष शामिल रहे.
इस दौरान लगभग चार हजार मलेरिया मामलों की पहचान की गई. इसमें गंभीर मलेरिया के लिए जिम्मेदार 40 फीसदी प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम शामिल रहा, जो एक परजीवी मच्छर के काटने से फैलता है.
रोगियों पर 11 साल तक किए गए अध्ययन के बाद हार्ट फेल के 69 मामले सामने आए, जो सामान्य आबादी की तुलना में बहुत अधिक है. इसके अलावा हृदय व रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों से कुल 68 मौत के मामले देखने को मिले, जोकि सामान्य सीमा के अंदर ही माना जाता है.
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ब्रेनिन ने कहा, "इन रोगियों में दिल से संबंधित बीमारियों की 30 फीसदी वृद्धि की संभावना पाई गई."
निष्कर्षों को ज्यादा मान्य बनाने के लिए हालांकि और अधिक शोध की आवश्यकता होगी. लेकिन हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि मलेरिया मायोकार्डियम (मांसपेशियों का टिश्यू) में जरूरी परिवर्तनों का कारण बन सकता है.
प्रायोगिक अध्ययनों से यह भी पता चला है कि उच्च रक्तचाप के कारण मलेरिया ब्लड प्रेशर की प्रणाली को प्रभावित कर सकता है, जो हृदयघात का कारण बनता है.
इसके अलावा मलेरिया हृदय में सूजन पैदा करने वाली वाहिकाओं (वैसकुलर) को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे फाइब्रोसिस और इसके बाद हृदयघात हो सकता है.
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) के अनुसार, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और कोरोनरी धमनी रोग हृदयघात होने के प्रमुख कारणों में से है.
यह निष्कर्ष पेरिस में वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ कार्डियोलॉजी के साथ ईएससी कांग्रेस-2019 में प्रस्तुत किए गए थे.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, मलेरिया होने की संभावना वाले प्रमुख देशों में शुमार भारत ने इससे निपटने में पर्याप्त सफलता पाई है. परिषद के अनुसार, मलेरिया के मामलों में 80 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. पहले जहां सन 2000 में मलेरिया के 23 लाख मामले सामने आए थे, वहीं 2018 में इनकी संख्या घटकर तीन लाख 90 हजार रह गई है. इसके अलावा मलेरिया से होने वाली मौतों में 90 फीसदी की गिरावट आई है. सन 2000 में जहां मलेरिया के कारण 932 मौत हुई, वहीं 2018 में यह आंकड़ा 85 रहा.
मलेरिया के लक्षण
गंभीर मलेरिया के लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, बेहोशी जैसी स्थिति होना, गहरी सांस लेने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत, असामान्य खून बहना, एनीमिया के लक्षण और पीलिया शामिल हैं.
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