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This Article is From Apr 20, 2018

बुजुर्गों की मदद के ल‍िए पुलिस की शानदार पहल, बनाया सिल्‍वर कार्ड

बुजुर्गों को सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और सम्मान मिले, इसके लिए इंदौर पुलिस ने अनूठा प्रयोग किया है. पुलिस ने नारा दिया है, 'बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं'.

बुजुर्गों की मदद के ल‍िए पुलिस की शानदार पहल, बनाया सिल्‍वर कार्ड
इंदौर पुलिस ने नारा द‍िया है 'बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं'
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
इंदौर पुलिस ने सिल्‍वर कार्ड योजना शुरू की है
पुलिस ने नारा द‍िया है 'बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं'
बुजुर्गों के साथ बढ़ती वारदातों के मद्देनजर ये कदम उठाया गया है
इंदौर: मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस ने बुजुर्गों की जिंदगी खुशहाल बनाने की पहल की है. यहां बुजुर्गो के 'सिल्वर कार्ड' बनाए जा रहे हैं, जो उन्हें सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में मददगार साबित हो रहे हैं. 

बुजुर्गों को सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और सम्मान मिले, इसके लिए इंदौर पुलिस ने अनूठा प्रयोग किया है. पुलिस ने नारा दिया है, 'बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं'. पुलिस की इस मुहिम से बुजुर्ग लगातार जुड़ रहे हैं और वे अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

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इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा, 'यहां बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनके बेटे विदेशों में बस गए हैं और वे यहां अकेले हैं. इस हाल में उन बुजुर्गों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधा बड़ी समस्या है. इसी के मद्देनजर पुलिस ने सिल्वर कार्ड तैयार किया है. अब तक 19 हजार बुजुर्गों के सिल्वर कार्ड बन चुके हैं.'

उन्होंने कहा, 'सिल्वर कार्ड वाले बुजुर्गों को पुलिस सुरक्षा के साथ बसों, हवाईजहाज, अस्पताल और पैथोलॉजी में विशेष सुविधा के साथ छूट दी जाती है.'

पिछले दिनों इंदौर में ऐसे कई बुजुर्गों के साथ वारदातें हुई हैं, जो अकेले रहा करते थे. इसी के चलते पुलिस ने एक कार्ययोजना बनाई और उस पर अमल किया. उसी के तहत यह सिल्वर कार्ड योजना शुरू की गई है. 

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मिश्रा के अनुसार, बुजुर्गों को बेहतर सुविधा और सुरक्षा दिलाने के लिए 'सीनियर सिटीजन पुलिस पंचायत' बनाई गई है. इसके तहत प्रत्येक बुजुर्ग को एक आवेदन प्रपत्र भरना होता है, जिसमें उसे अपना सारा ब्यौरा देना होता है, उसके बाद ही उसे सिल्वर कार्ड जारी किया जाता है.

उन्होंने बताया कि यह सुविधा सिर्फ इंदौर शहर के बुजुर्गों के लिए ही है. इसके साथ ही जरूरी है कि बुजुर्ग की आयु 60 साल से ऊपर हो. इस प्रपत्र में संबंधित बुजुर्ग की रिटायरमेंट की तारीख से लेकर उसकी बीमारी तक का जिक्र होता है.

सामुदायिक पुलिसिंग के नोडल अधिकारी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत चौबे ने बताया, 'पुलिस कोश‍िश कर रही है कि समाज में बुजुर्गों को सम्मान मिले और उनकी समस्या का निदान हो. इसमें सामाजिक सहयोग भी लिया जा रहा है. बुजुर्गों से फोन पर भी संपर्क कर उनको सहायता मुहैया कराई जाती है.'

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सामुदायिक पुलिसिंग की दिशा में किए गए इस प्रयास के तहत संबंधित बुजुर्ग को एक पुस्तिका दी जाती है, जिसमें उससे संबंधित सारी जानकारियां दर्ज होती हैं. 

इंदौर पुलिस की यह कोश‍िश उन बुजुर्गों के लिए वरदान बन गई है, जो अकेले हैं, जिनमें असुरक्षा का भाव होता है और समाज के विभिन्न वर्ग उनका साथ देने से कतराते हैं. 
 

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