
World's First Gay Prince: 'जो मैं हूं, वही दुनिया के सामने हूं और यही मेरी सबसे बड़ी जीत है.' ये शब्द हैं गुजरात के राजपीपला रियासत के प्रिंस मावेंद्र सिंह गोहिल (Manvendra Singh Gohil) के, जो पहले ऐसे शाही इंसान हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया के सामने खुलकर कहा- 'मैं गे हूं.' शाही फैमिली से होने की वजह से ये फैसला उनके लिए और भी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने डरने की बजाय सच बोलना (Manvendra Singh Gohil Story) चुना. NDTV को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'प्राइड मंथ हमारे लिए सेलिब्रेशन का टाइम है. ये दुनिया को बताने का मौका है कि हम भी इसी समाज का हिस्सा हैं और हमें भी बराबरी, इज्जत और प्यार से जीने का हक (Indian LGBTQ+ Rights) है.'
प्रिंस मावेंद्र सिंह के लिए क्या है प्राइड मंथ
मावेंद्र सिंह कहते हैं, 'प्राइड मंथ मेरे लिए सेलिब्रेशन का वक्त है. ये दुनिया को बताने का मौका है कि हम भी इस समाज का हिस्सा हैं. हमें भी बराबरी, इज्जत और पहचान मिलनी चाहिए. जहां दुनिया जून में प्राइड मनाती है, वहीं मावेंद्र जैसे लोग हर दिन अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन अब वो सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी LGBTQ+ कम्युनिटी की आवाज बन चुके हैं.'

ओप्रा शो लाइफ का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट
साल 2007 में प्रिंस मावेंद्र अमेरिकी पॉलपुर टॉक शो 'The Oprah Winfrey Show' में पहुंचे. वहां उन्होंने अपनी कहानी और LGBTQ+ लोगों के अधिकारों पर बात की. उन्होंने बताया, 'ओप्रा जैसी बड़ी शख्सियत का साथ मिलना मेरे लिए बड़ी बात थी. ओप्रा सिर्फ एक होस्ट नहीं थीं, वो एक मजबूत सपोर्टर थीं. उनकी वजह से लोगों की सोच बदली. लोगों को समझ आया कि मेरी लड़ाई सिर्फ पर्सनल नहीं, बल्कि हजारों की लड़ाई है.' इस इंटरव्यू के बाद मावेंद्र को इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स से बुलावा मिलने लगा, जहां वो LGBTQ+ अधिकारों की बात करने लगे.
शाही फैमिली से टकराव और अकेलापन
एक आम इंसान के लिए 'कमिंग आउट; यानि अपनी सेक्सुअल आइडेंटिटी बताना जितना मुश्किल होता है, एक राजपरिवार से आने वाले इंसान के लिए ये कई गुना ज्यादा चैलेंजिंग होता है. राजघराने की इज्जत, परंपरा, विरासत, इन सबके बीच मावेंद्र का सच उनकी फैमिली के लिए एक झटका था. कुछ वक्त तक परिवार ने उनसे दूरी बना ली, समाज ने ताने मारे, लेकिन मावेंद्र डटे रहे.
समाज में बदलाव लाने के लिए साथियों की जरूरत होती है
प्रिंस मावेंद्र ने कहा कि 'अगर बदलाव चाहिए तो LGBTQ+ लोगों के साथ खड़े होने वाले साथी (allies) की संख्या बढ़ानी होगी. चाहे नेता हों, टीचर, डॉक्टर या पैरेंट्स, जो लोग सपोर्ट करें, वो सबसे बड़ी ताकत हैं. उन्होंने एक सीधी बात कही, 'खुद को अपनाना बहुत जरूरी है. जब आप खुद से प्यार करेंगे तभी दुनिया भी आपको कबूल करेगी.' उन्होंने कहा कि अगर वो फिर से बच्चे बन सकते तो खुद से बस यही कहते, टजैसे हो, खुद को वैसे ही प्यार करो.
अब दुनिया के लिए रोल मॉडल
आज मावेंद्र सिंह LGBTQ+ युवाओं के लिए एक उम्मीद हैं. वो कहते हैं, 'सबसे जरूरी है खुद को एक्सेप्ट करना। जब तक आप खुद से प्यार नहीं करेंगे, दुनिया भी आपको समझ नहीं पाएगी. उनकी सलाह है कि स्कूलों में LGBTQ+ फ्रेंडली काउंसलर्स होने चाहिए, ताकि बच्चे अपने सवालों के जवाब सुरक्षित माहौल में पा सकें.' प्रिंस मानते हैं कि 'स्कूलों में LGBTQ+ बच्चों के लिए काउंसलिंग और गाइडेंस होनी चाहिए. इससे बच्चे खुद को जल्द समझ पाएंगे और कॉन्फिडेंस में रहेंगे.'
'अगर मैं फिर से बच्चा होता...'
जब NDTV ने उनसे पूछा कि अगर आपको दोबारा अपने बचपन में लौटने का मौका मिले तो क्या कहेंगे. मावेंद्र का जवाब बेहद इमोशनल था, 'मैं अपने छोटे से वर्जन को गले लगाता, कहता कि कोई बात नहीं, तुम जैसे हो वैसे ही खूबसूरत हो. बस खुद से प्यार करो, खुद को अपनाओ.'
मावेंद्र सिंह का प्लान क्या है
मावेंद्र अब न सिर्फ भारत में, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी LGBTQ+ राइट्स के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने राजपीपला में 'Lakshya Trust' नाम से एक ऑर्गनाइजेशन भी शुरू किया है जो HIV-AIDS और LGBTQ+ मुद्दों पर काम करता है.'
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