न्यूयॉर्क: क्या आप अपने बच्चों को कड़ी मेहनत के फायदे बताना चाहते हैं? यदि हां, तो उन्हें करके बताइए कि उन्हें अपना लक्ष्य पाने के लिए इसी तरह प्रयास करने होंगे. यह बात शोधकर्ताओं ने कही. शोध के निष्कर्ष में पता चला है कि 15 महीने तक के शिशु जब अपने माता-पिता को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए देखते हैं, तो वे कड़ी मेहनत का महत्व समझ जाते हैं.
वे बच्चे, जिन्होंने सफल होने से पहले अपने माता-पिता को अपने-अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए देखा है, वह अन्य बच्चों की तुलना में कठिन कार्यों में भी रुचि लेते हैं और उसके के लिए कठिन प्रयास करते हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि उनका यह अध्ययन उन माता-पिता का मार्गदर्शन कर सकता है, जो अपने बच्चों में प्रयासों के मूल्य को स्थापित करने की आशा रखते हैं. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के प्रोफेसर लौरा शूल्ज ने कहा, "माता-पिता पर कुछ दबाव होता है कि वे बच्चों के लिए सबकुछ आसान कर देते हैं और अपने बच्चों के सामने कभी निराश नहीं होते.
शूल्ज ने कहा, अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आप कितनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, यह अपने बच्चों को दिखाना कोई बुरी चीज नहीं है. टीम ने अध्ययन में इस बात पर ध्यान दिया कि बहुत कम उम्र के बच्चों को कैसे सिखाया जाना चाहिए, उन्हें यह कैसे तय करना है कि कड़ी मेहनत का प्रयास कब करना है और यह प्रयास उस काम के लायक है या नहीं.
शोध का निष्कर्ष पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के लिए टीम ने एक प्रयोग किया, जिसमें 15 महीने के बच्चों को एक वयस्क को दो कार्य करते हुए दिखाया गया. इसके बाद बच्चों को एक संगीत बजने वाला खिलौना दिया गया. उस खिलौने को चलाने के लिए शिशुओं को एक बटन दबाना था.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन शिशुओं ने अपने माता-पिता को संघर्ष करते हुए देखा था, उन्होंने दूसरे शिशु, जिनके माता-पिता को बिना संघर्ष, आसानी से सफलता पाते देखा गया, उनकी तुलना में दो से ज्यादा बार बटन दबाए. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि जो लोग कम उम्र में महत्वपूर्ण रूप से सीखने में सक्षम होने लगते हैं, वे कार्य को कैसे करना है, उसका पता बहुत जल्द लगा लेते हैं.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
वे बच्चे, जिन्होंने सफल होने से पहले अपने माता-पिता को अपने-अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए देखा है, वह अन्य बच्चों की तुलना में कठिन कार्यों में भी रुचि लेते हैं और उसके के लिए कठिन प्रयास करते हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि उनका यह अध्ययन उन माता-पिता का मार्गदर्शन कर सकता है, जो अपने बच्चों में प्रयासों के मूल्य को स्थापित करने की आशा रखते हैं. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के प्रोफेसर लौरा शूल्ज ने कहा, "माता-पिता पर कुछ दबाव होता है कि वे बच्चों के लिए सबकुछ आसान कर देते हैं और अपने बच्चों के सामने कभी निराश नहीं होते.
शूल्ज ने कहा, अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आप कितनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, यह अपने बच्चों को दिखाना कोई बुरी चीज नहीं है. टीम ने अध्ययन में इस बात पर ध्यान दिया कि बहुत कम उम्र के बच्चों को कैसे सिखाया जाना चाहिए, उन्हें यह कैसे तय करना है कि कड़ी मेहनत का प्रयास कब करना है और यह प्रयास उस काम के लायक है या नहीं.
शोध का निष्कर्ष पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के लिए टीम ने एक प्रयोग किया, जिसमें 15 महीने के बच्चों को एक वयस्क को दो कार्य करते हुए दिखाया गया. इसके बाद बच्चों को एक संगीत बजने वाला खिलौना दिया गया. उस खिलौने को चलाने के लिए शिशुओं को एक बटन दबाना था.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन शिशुओं ने अपने माता-पिता को संघर्ष करते हुए देखा था, उन्होंने दूसरे शिशु, जिनके माता-पिता को बिना संघर्ष, आसानी से सफलता पाते देखा गया, उनकी तुलना में दो से ज्यादा बार बटन दबाए. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि जो लोग कम उम्र में महत्वपूर्ण रूप से सीखने में सक्षम होने लगते हैं, वे कार्य को कैसे करना है, उसका पता बहुत जल्द लगा लेते हैं.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
लाइफस्टाइल की और खबरों के लिए क्लिक करें
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं