बच्चों को अपने माता-पिता के साथ कब तक सोना चाहिए? पीडियाट्रिशियन ने बताया कितने साल के बच्चे को अकेले सोना चाहिए

Till what age child can sleep with parents: पीडियाट्रिशियन बताते हैं, हर बच्चा अलग होता है और उसकी जरूरतें भी अलग होती हैं. फिर भी कुछ सामान्य गाइडलाइन हैं, जिनके आधार पर माता-पिता सही फैसला ले सकते हैं.

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बच्चे को कब तक मां-बाप के साथ सोना चाहिए?

Parenting Tips: कई माता-पिता के मन में यह सवाल जरूर आता है कि बच्चे को अपने अलग कमरे में कब सुलाना चाहिए? क्या इसके लिए कोई सही उम्र होती है? अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार हो सकता है. इसी विषय पर पीडियाट्रिशियन सैयद मुजाहिद हुसैन ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में बच्चों के डॉक्टर ने कुछ जरूरी बातें बताई हैं. आइए जानते हैं इस बारे में एक्सपर्ट की राय-

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

पीडियाट्रिशियन बताते हैं, बच्चों को कब तक माता-पिता के साथ सोना चाहिए, इसके लिए कोई फिक्स उम्र या नियम नहीं होता है. हर बच्चा अलग होता है और उसकी जरूरतें भी अलग होती हैं. फिर भी कुछ सामान्य गाइडलाइन हैं, जिनके आधार पर माता-पिता सही फैसला ले सकते हैं.

1 साल तक

इस उम्र तक बच्चे को सबसे ज्यादा सुरक्षा और निगरानी की जरूरत होती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक साल तक बच्चे को माता-पिता के साथ एक ही कमरे में सोना चाहिए. इससे रात में बच्चे का अच्छे से ध्यान रखा जा सकता है.

1-3 साल

1-3 साल तक के बच्चे भी भावनात्मक रूप से बहुत जुड़े होते हैं. उन्हें रात में कई बार डर लग सकता है या वे जाग सकते हैं. ऐसे में माता-पिता का साथ उन्हें भरोसा देता है. इसलिए इस उम्र में भी बच्चे को माता-पिता के कमरे में सुलाना बेहतर माना जाता है.

3–6 साल

पीडियाट्रिशियन कहते हैं, यह उम्र ट्रांजिशन यानी बदलाव की होती है. बच्चे धीरे-धीरे अपनी पहचान और स्पेस को समझने लगते हैं. इस समय माता-पिता को बच्चों से नरमी से बात करके उन्हें अपने अलग बेड या कमरे के लिए तैयार करना शुरू करना चाहिए. हालांकि, यह बदलाव बिना किसी दबाव के धीरे-धीरे और आराम से होना चाहिए.

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6 साल और उससे ज्यादा

डॉक्टर हुसैन के अनुसार, अगर बच्चा तैयार है और माता-पिता भी सहज हैं, तो छह साल के बाद बच्चे को अलग कमरे में सुलाना बिल्कुल ठीक है. यह उम्र समझ और आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद करती है. लेकिन याद रखें कि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए केवल सामाजिक दबाव में आकर कोई फैसला न लें.

डॉक्टर कहते हैं, किसी भी उम्र में बच्चे पर दबाव डालना ठीक नहीं है. अलग सोना एक नेचुरल और आरामदायक कदम होना चाहिए, न कि मजबूरी. अगर बच्चा डरा हुआ महसूस कर रहा है, बार-बार रो रहा है या बार-बार माता-पिता के पास भागकर आ रहा है, तो उसे थोड़ा और समय देना चाहिए. यानी बच्चे को अलग कब सोना है, ये फैसला माता-पिता और बच्चे, दोनों की सुविधा और भावनाओं को ध्यान में रखकर ही लेना चाहिए.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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