विज्ञापन
This Article is From Apr 07, 2017

भारत में 13-15 साल की उम्र के हर 4 किशोरों में एक को है अवसाद

भारत में 13-15 साल की उम्र के हर 4 किशोरों में एक को है अवसाद
नई दिल्‍ली: डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत में 13-15 साल के उम्र के हर चार बच्चे में एक बच्चा अवसाद से ग्रस्त है जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में 8.6 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सर्वाधिक आत्महत्या दर भारत में है. उसने ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति: कार्रवाई का सबूत’ नामक रिपोर्ट जारी किया जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 था. इस उम्रवर्ग में प्रति एक लाख लोगों पर अनुमाति आत्महत्या दर इंडानेशिया में 3.6 से लेकर नपेाल में 25.8 है.

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि अवसाद आत्महत्या का कारण बन सकता है और इस क्षेत्र में 15 से 29 वर्ष की उम्र के लोगों के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. अवसाद से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं को ऐसा बनाना चाहिये जो आसानी से लोगों की पहुंच में हो और उच्च गुणवत्ता की हो.

विश्व स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर जारी केंद्रित रिपोर्ट कहती है कि भारत की जनसंख्या 131.11 करोड़ है जिसमें 7.5 करोड़ किशोर :13-15 साल: हैं और यह कुल जनसंख्या का 5.8 फीसदी है. उनमें 3.98 करोड़ लड़के हैं तथा 3.57 लड़कियां हैं. इस साल अवसाद पर केंद्रित डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट बताती है कि सात फीसदी किशोर झिड़की के शिकार पाए गए. उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों एवं बड़े लोगों की टिप्पणियां से आहत महसूस किया. रिपोर्ट कहती कि 25 फीसदी किशोर ‘‘अवसादग्रस्त और ‘‘उदास या निराश’’ हैं जबकि 11 फीसदी ज्यादातर समय या हमेशा अपने काम ध्यान नहीं केंद्रित कर पाते हैं.

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि आठ फीसदी किशोर चिंता की वजह से बेचैनी के शिकार हैं या वे सो नहीं पाते हैं . इतने ही फीसदी किशोर ज्यादातर समय या हमेशा अकेलापन महसूस करते हैं. 10.1 फीसदी किशोरों का कोई घनिष्ठ मित्र नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने माता-पिता के उनके साथ कम घनिष्ठता की शिकायत की. श्रीलंका में ऐसे बच्चे 15 फीसदी है जबकि भारत में वे 20 फीसदी हैं. चार फीसदी किशोर तंबाकू उत्पादों का सेवन करते है. जबकि आठ फीसदी शराब पीते हैं.

सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक के लिए भारत की प्रशंसा की जिसमें आत्महत्या को अपराध नहीं माना गया और ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति का इलाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है.

सिंह ने कहा, ‘‘बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया, मालदीव और श्रीलंका में हाल के वषरें में शीर्ष दस स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में मानसिक स्वास्थ्य भी एक है. 11 में आठ सदस्य देशों के पास मानसिक स्वास्थ्य नीतियां या योजनाएं हैं.’’

न्‍यूज एजेंसी भाषा से इनपुट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com