दिल्ली के लाल किले पर हुए बम धमाके को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं. अब तक इस मामले में करीब 15 संदिग्धों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर अल फलाह यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के डॉक्टर हैं. बम धमाके की जांच अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए के हाथों में है. जिस डॉक्टर मुजम्मिल शकील के ठिकानों से सैकड़ों किलो विस्फोटक बरामद हुआ था, उसके फोन से कई राज सामने आ रहे हैं, जिसमें ये भी बताया गया है कि इन संदिग्धों का 26 जनवरी को लाल किले पर हमले का प्लान था. इसके लिए लाल किले की रेकी भी हुई थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि 26 जनवरी के दिन लाल किले पर क्या होता है.
लाल किले पर क्या होता है?
लाल किला भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता का एक प्रतीक है. जिस जगह से एक दौर में मुगल राज करते थे, वहीं से अब भारत के प्रधानमंत्री हर साल 15 अगस्त के मौके पर तिरंगा फहराते हैं. 15 अगस्त को लाल किले पर भव्य समारोह होता है और इसकी प्राचीर से पीएम देश को संबोधित भी करते हैं. 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहला भाषण दिया था. इसके बाद से ही ये परंपरा निभाई जा रही है.
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26 जनवरी को लाल किले पर क्या होता है?
अब सवाल है कि अगर लाल किले पर संदिग्ध आतंकी 26 जनवरी को अटैक करने वाले थे, तो आखिर इस दिन यहां क्या होता है. 26 जनवरी को बड़ा और भव्य आयोजन लाल किले पर नहीं, बल्कि इंडिया गेट के पास कर्तव्य पथ (राजपथ) पर होता है. यहां भारतीय सेना की ताकत और देश की सांस्कृतिक झलक झांकियों के तौर पर दिखती है. इस दिन प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं. 26 जनवरी के दिन लाल किले पर वीआईपी मूवमेंट नहीं होता है, हालांकि सिक्योरिटी काफी टाइट रहती है.
घूमने आते हैं कई लोग
26 जनवरी के दिन परेड देखने के लिए हजारों लोग कर्तव्य पथ पर सुबह 6 बजे पहुंच जाते हैं, लेकिन जो लोग सुबह नहीं निकल पाते हैं या जिन्हें पास नहीं मिल पाता है, वो गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किला पहुंचते हैं. इस दिन यहां घूमने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो जाती है. क्योंकि 26 जनवरी छुट्टी का दिन होता है, ऐसे में लोग अपने बच्चों के साथ यहां पहुंचते हैं और वक्त बिताते हैं. ऐसे में हो सकता है कि आतंकी इसी भीड़ को टारगेट करने की कोशिश कर रहे थे, जिससे इस ऐतिहासिक इमारत के सामने ज्यादा से ज्यादा नुकसान किया जा सके.














