UNESCO के 'वर्ल्ड हेरिटेज' में शामिल महाराष्ट्र का कास पठार की जानिए अनोखी खासियत यहां ...

महाराष्ट्र का कास पठार अपनी कुदरती खूबसूरती और फूलों की घाटी के लिए मशहूर है. यहां घूमने से पहले जरूरी नियम और गाइडलाइन जानें ताकि आपकी ट्रिप सुरक्षित और यादगार बने.

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पर्यटकों के लिए पाथवे (चलने का रास्ता) बने हुए हैं, इन्हीं पर चलना होता है.

knowledge : घूमने फिरने के शौकीन और कुदरत के सुंदर नजारों को पसंद करने वालों के लिए महाराष्ट्र का कास पठार किसी जन्नत से कम नहीं है. नाम सुनकर भले ही थोड़ा अजीब लगे लेकिन देखने के बाद आपको यकीन हो जाएगा कि इस जगह को कुदरत ने अपनी नेमत से नवाजा है. कास पठार सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि ये प्रकृति की खूबसूरती और जैव विविधता का एक बेहतरीन मेल है. महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित ये जगह मॉनसून के दिनों में ऐसे रंग बिखेरती है कि हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाए. अगर आप इस बारिश में घूमने की जगह ढूंढ रहे हैं, तो कास पठार आपकी लिस्ट में जरूर होना चाहिए.

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कास पठार कहां है?

कास पठार सह्याद्री की पहाड़ियों में, सतारा (महाराष्ट्र) के पास स्थित है. ये पुणे से करीब 140 किलोमीटर और मुंबई से लगभग 273 किलोमीटर दूर है. रोड ट्रिप के शौकीनों के लिए ये जगह एकदम परफेक्ट मानी जाती है.

कास पठार खास क्यों है?

इस पठार की सबसे बड़ी पहचान इसकी फूलों की विविधता है. यहां 850 से ज्यादा प्रजातियों के फूल खिलते हैं, जिनमें से कई बहुत ही दुर्लभ और सिर्फ यहीं पाए जाते हैं. मॉनसून के दौरान पूरा पठार गुलाबी, बैंगनी, पीले और सफेद फूलों से ढक जाता है. नज़ारा इतना सुंदर होता है कि भूलना मुश्किल है.

घूमने का सही समय

कास पठार जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त के आख़िरी हफ्ते से अक्टूबर की शुरुआत तक माना जाता है. इसी दौरान यहां के जंगली फूल पूरी तरह खिले होते हैं और मौसम भी ठंडा और सुहावना होता है. ये वक्त ट्रेकिंग और फोटोग्राफी के लिए भी आदर्श है. ध्यान रखें कि यहां एंट्री सीमित रहती है, इसलिए पहले से योजना बनाना ज़रूरी है.

कास की प्राकृतिक खूबसूरती

बरसात आते ही ये पठार फूलों की दुनिया में बदल जाता है. चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल, हल्की धुंध और हरी-भरी पहाड़ियां, सब मिलकर यहां का नज़ारा और भी जादुई बना देते हैं. यही कारण है कि प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर यहां बार-बार आना पसंद करते हैं.

पर्यटकों के लिए अनुभव

कास पठार शांति की तलाश करने वालों के लिए बेस्ट जगह है. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या सीमित रखी जाती है ताकि इस जगह को नुकसान न पहुंचे. अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो वीकडेज पर यहां घूमना ज्यादा अच्छा रहेगा.

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कास पठार तक कैसे पहुंचे?

कास पठार सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. पुणे और मुंबई दोनों से यहां तक की यात्रा सुंदर नज़ारों से भरी होती है. साथ ही, कास झील और ठोस घर झरने जैसे आकर्षण भी पास में हैं, जिससे ये पूरा इलाका घूमने लायक बन जाता है.
कास पठार यूनेस्को वर्ल्ड नेचुरल हेरिटेज साइट में शामिल है. इसलिए यहां घूमने के कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन हर पर्यटक को करना जरूरी है. ये नियम न सिर्फ फूलों और पौधों की सुरक्षा के लिए हैं बल्कि पर्यटकों के अनुभव को भी बेहतर बनाते हैं.

कास पठार घूमने के नियम1. सीमित एंट्री

– रोज़ाना केवल तय संख्या में ही पर्यटकों को एंट्री दी जाती है.
– इसके लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग पहले से करनी पड़ती है.

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2. समय सीमा

– एक बार में लगभग 3 घंटे तक ही पठार पर रुकने की अनुमति है.
– तय समय के बाद बाहर निकलना अनिवार्य होता है.

3. फूल तोड़ना मना है

– यहां के फूल बेहद दुर्लभ और नाज़ुक हैं. इन्हें तोड़ना या नुकसान पहुंचाना सख्त मना है.
– ऐसा करने पर जुर्माना भी लग सकता है.

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4. कचरा न फैलाएं

– प्लास्टिक, बोतल, चिप्स पैकेट या कोई भी कचरा पठार पर फेंकना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
– अपने साथ लाया हुआ सामान वापस ले जाना जरूरी है.

5. निर्धारित रास्तों पर ही चलें

– पर्यटकों के लिए पाथवे (चलने का रास्ता) बने हुए हैं. इन्हीं पर चलना होता है.
– फूलों और घास के बीच से जाने की अनुमति नहीं होती.

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6. गाड़ियों की एंट्री प्रतिबंधित

– पठार के अंदर वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है.
– पार्किंग क्षेत्र से पैदल ही एंट्री करनी होती है.

7. गाइडलाइन का पालन

– ऑन-ग्राउंड गाइड्स और सुरक्षा कर्मियों के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.
– ड्रोन कैमरा, जोर से संगीत बजाना या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां पूरी तरह से बैन हैं.

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