JNU में किस छात्र संगठन ने कितनी बार जीता चुनाव? ये रही पूरी टाइमलाइन

JNU Election Result 2025: जेएनयू छात्रसंघ के चुनावों को लेकर नतीजे जारी होने वाले हैं. किस पार्टी ने कब-कब किया सीटों पर कब्जा. पढ़िए पूरा इतिहास.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

JNU Election Result 2025: जेएनयू छात्रसंघ के चुनावों का अपना इतिहास है. जेएनयू छात्र संघ का चुनाव को लेकर माहौल काफी गर्म हो चुका है. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ (JNUSU) चुनाव के लिए मंगलवार को हुई वोटिंग के बाद वोटों की गिनती जारी है. वाम दल और ABVP के बीच कांटे की टक्‍कर दिख रही है. परिणाम अब अंतिम चरण में हैं, और शुरुआती रुझान एक बार फिर कैंपस के दशकों पुराने सियासी समीकरण को मजबूत करते दिख रहे हैं. 

कल रात से जारी वोटों की गिनती में, चार वामपंथी छात्र संगठनों—AISA, SFI, DSF और AISF—के गठबंधन 'लेफ्ट यूनिटी' ने सभी चार केंद्रीय पदों पर निर्णायक बढ़त बना ली है. प्रेसिडेंट पद की उम्मीदवार अदिति मिश्रा, वाइस प्रेसिडेंट के उम्मीदवार कीजकूट गोपिका बाबू, जनरल सेक्रेटरी के उम्मीदवार सुनील यादव और जॉइंट सेक्रेटरी के उम्मीदवार दानिश अली लेफ्ट यूनिटी को जीत की ओर ले जा रहे हैं.

वोटिंग प्रतिशत में गिरावट, उत्साह बरकरार

शुक्रवार को हुए मतदान में कुल 9043 छात्र वोटर्स में से 67 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यह पिछले साल के 70 प्रतिशत वोटिंग से मामूली कम है, लेकिन कैंपस में चुनावी माहौल, नारे, ड्रम और कैंपेन सॉन्ग्स की धूम बरकरार रही. वाम एकता ने जहां 'NEP विरोधी' मुद्दों को उठाया, वहीं एबीवीपी ने 'राष्ट्रवाद और सुरक्षा' के नारे पर वोट मांगे.

ABVP का विज्ञान में वर्चस्व

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव कर साइंस फैकल्टी में सफलता दर्ज की है. काउंसिलर सीट की गिनती में, एबीवीपी ने कंप्यूटर साइंस में 3 में से 2 सीटें हासिल की और इंजीनियरिंग में 4 में से 2 सीटे हासिल की, वहीं बायोटेक में 2 में से 2 सीटें हासिल की. इससे ये साफ होता है कि साइंस के स्कूल्स में ABVP की पकड़ मजबूत हुई है, जो भविष्य में कैंपस की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है.

इतिहास की गवाही: वाम का 'लाल किला'

1971 में पहले JNUSU चुनाव के बाद से, JNU वामपंथी राजनीति का केंद्र रहा है. JNUSU अध्यक्ष पद पर अब तक SFI ने 22 बार और AISA ने 12 बार जीत हासिल की है, जो वामपंथी विरासत को बताती है. ABVP को केवल एक बार, साल 2000 में, संदीप महापात्रा ने महज एक वोट से जीत दिलाई थी. NSUI के तनवीर अख्तर ने 1991 में जीत दर्ज की थी.

कोविड-19 के कारण चार साल के बाद, 2023 में वाम एकता ने फिर से सभी चार पद जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की थी. इस बार, लेफ्ट यूनिटी अपने इतिहास को दोहराती दिख रही है, जबकि एबीवीपी ने काउंसलर सीटों पर अपनी जगह बनाकर भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर लिया है.

Advertisement

ये भी पढ़ें-RJD ने लगाया पोलिंग बूथ पर बिजली काटने का आरोप, क्या बिना बिजली के काम नहीं करती है EVM?

Featured Video Of The Day
Bihar First Phase Voting: 'ये RJD के गुंडे..' Lakhisarai में Vijay Sinha के काफिले पर हमला
Topics mentioned in this article