संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने कहा है कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की बात तो मान ली है लेकिन वहन्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP गारंटी को लेकर भी किसानों को संतुष्ट करे. NDTV से बात करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि हम पीएम से आग्रह करते हैं क हम जो मांग रहे हैं ,कृपया वह हमें दे दीजिए. यादव ने साफ किया कि MSP की किसानों की मांग नई नहीं है. ऐसा नहीं है कि हमने यह कोई नई मांग निकाली है. अक्टूबर में हमने सरकार को जो मेमोरेंडम सौंपा था, उसमें भी MSP की बात थी. सरकार के साथ 11 राउंड की बातचीत के दौरान भी हमने एमएसपी की मांग रखी थी.
योगेंद्र यादव ने कहा, 'आज से एक साल पहले जब हमने संविधान दिवस चुना था तो विचार था कि किसान के संविधानिक हकों को हासिल करने के लिएये संघर्ष करेंगे. आज ठीक एक साल बाद उसी संविधान दिवस पर हम किसान के संवैधानिक हक हासिल करने के लिए मैदान में है. पिछले 70 साल में किसान के हक हासिल करने के लिए इतना बड़ संघर्ष कभी नहीं हुआ. गर्मी-सर्दी में बैठने का संकल्प देश ने कभी नहीं देखा होगा. उस सरकार से ये कराना जो बैकफुट में जाने के लिए तैयार नहीं है, ऐसी सफलता कभी हासिल नहीं की होगी. आज जीत का जश्न मनाने का दिन है. साथ ही आगे की जंग का जज्बा दिखाने का भी दिन है, इसलिए मैं गाजीपुर में बैठा हूं.'
उन्होंने कहा, 'ये पहले दिन से स्पष्ट मत रहा है कि मोर्चा के नाम से राजनीति नहीं होगी, उसमें अलग-अलग राजनैतिक विचार के लोग हैं मैं भी हूं. संयुक्त किसान मोर्चे के नाम से न चुनाव लड़ा जाएगा, न कोई भी राजनैतिक गतिविधि होगी. हमने सिर्फ बंगाल के चुनाव में फैसला किया कि बीजेपी को हराएंगे. वहीं पर भी संयुक्त किसान मोर्चे के नाम से किसी ने चुनाव लड़ा. '
यादव ने कहा कि 70 साल बाद किसान को एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म मिला है, उसका इस्तेमाल चुनाव में करना एक बहुत छोटा इस्तेमाल होगा.इस देश का राजनीति की धुरी किसान बने, ये इसका उद्देश्य होना चाहिए. राज की नीति में,वाल उठाने अगर राजनीति है तो तो किसान को राजनीति जरूर करनी चाहिए लेकिन चुनावी राजनीति का मंच संयुक्त किसान मोर्चा नहीं होना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि नहीं बनेगा. आप अपनी पार्टी बनाएं, चुनाव लड़े तो कोई ऐतराज नहीं है.
उन्होंने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नीचे जो भी संगठन आए हैं वो अलग अलग विचारधारा के हैं. उनकी एक पार्टी बनाने का मतलब होगा उनकी एकता में फूट लाना. मेरे लिए इस मोर्चे का एकता बड़ी चीज है. अभी 3 कानून वापस लिए हैं तो 30 कानून बनाएंगे भी. अगले 20 साल तक देश में किसान के खिलाफ कुछ भी करने की हिम्मत न हो, ये काम संयुक्त मोर्चे को करना चाहिए. किसी को जिताने का काम करना पड़े पर हराने का काम भी करना चाहिए किसान मोर्चा अपनर व्यक्तित्व अलग रखे, ये करना चाहिए.
यादव ने कहा, ' मैं राजनैतिक दल में हूं चुनाव का समर्थक हूं लेकिन एसकेएम नाम का बैनर चुनाव में नहीं होना चाहिए. चडूनी जी चुनाव लड़ना चाहते हैं, ये उनका अधिकार है. एसकेएम का बैनर किसान के अधिकारों के लिए जरूरी है. इस देश की कुर्सी में जो बैठे,वो किसानों से ड़रे. चुनाव का मुद्दा जरूरी मुद्दा नहीं है. हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा एमएसपी का है.आज भी एसकेएम में 10-12 संगठन हैं जो पार्टी से जुड़े है. जाहिर हैं उनके साथी चुनाव लडेंगे उसपर कोई बैन नहीं है. कोई नया बैनर बनाना चाहे उसका स्वागत है.
एसकेएम का बैनर हमारे लिए बहुत बड़ी पूंजी है.'क्या किसानों को ऐसी आशंका सता रही कि यूपी चुनाव के सरकार फिर से कृषि कानूनों को लेकर आ सकती है, इस सवाल पर यादव ने कहा कि इस सरकार की नीयत पर किसानों को शक तो है लेकिन ऐसी कोशिश की गई तो इसक पूरा जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के जरिये देश के किसानों ने खोया आत्मसम्मान और एकता को हासिल किया है. अब किसानों को अपनी ताकत का अहसास हो गया है. यह अपने आप में बड़ी बात है.