विश्व पर्यावरण दिवस से एक दिन पहले जारी बयान में, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देश को सिंगल-यूज प्लास्टिक (एसयूपी) से मुक्त बनाने के लिए कई तरह की गतिविधियां करने के लिए कहा गया है.
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इनमें प्लास्टिक कचरा संग्रह पर विशेष जोर देने के साथ बड़े पैमाने पर सफाई और 'प्लॉगिंग' अभियान शामिल होंगे, साथ ही सभी नागरिकों, छात्रों, स्वैच्छिक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, स्थानीय गैर सरकारी संगठनों/सीएसओ, एनएसएस और एनसीसी कैडेट, आरडब्ल्यूए, बाजार संघ और अन्य लोगों के बीच कॉर्पोरेट संस्थाओं की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान शामिल होंगे.
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत वर्तमान में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय काम कर रहे हैं. इसमें प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, जिसमें एसयूपी का उन्मूलन भी शामिल है, इस पर खास तौर पर फोकस किया जा रहा है.
बयान में कहा गया है कि पर्यावरण को लेकर भारत की प्रतिबद्धता के तहत मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 30 जून तक इन आदेशों को पूरा करने के लिए कई तरह की गतिविधियां शुरू करने के लिए एक विस्तृत सलाह जारी की है.
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इसमें यह भी कहा गया है कि यूएलबी को एसयूपी 'हॉटस्पॉट' की पहचान करने और उन्हें नष्ट करने की जरूरत होगी, जबकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समर्थन का समानांतर रूप से लाभ उठाना और विशेष प्रवर्तन दस्तों का गठन करना, औचक निरीक्षण करना और एसयूपी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए गलती करने वालों पर भारी जुर्माना और दंड लगाना शामिल है.
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021 के अनुसार, 75 माइक्रोन यानि 0.075 मिमी मोटाई से कम के प्लास्टिक से बने कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर 30 सितंबर, 2021 से प्रतिबंध लगा दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि पीडब्लूएम नियम, 2016 के तहत पहले अनुशंसित 50 माइक्रोन था.
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