2023 में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार होगी धीमी, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन

विश्व बैंक (World Bank) ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर अपने ताजा अनुमान में कहा है कि भारत सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDI) में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा. भारत की आर्थिक विकास दर (GDP) अगले वित्त वर्ष (2023-24) में घटकर 6.6 फीसदी पर रह सकती है. चालू वित्त वर्ष में यह 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है.

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वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर रहेगी.
नई दिल्ली:

दुनिया में मंदी (Economic Slowdown- Recession) तेजी से बढ़ रही है. साल 2023 के दुनियाभर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर नहीं बताया जा रहा है. इस बीच विश्व बैंक (World Bank) ने अपनी एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था ((Indian Economy)) को लेकर नया अनुमान लगाया है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आर्थिक विकास दर (GDP) अगले वित्त वर्ष (2023-24) में घटकर 6.6 फीसदी पर रह सकती है. चालू वित्त वर्ष में यह 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. 

विश्व बैंक (World Bank) ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर अपने ताजा अनुमान में कहा है कि भारत सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDI) में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा. वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है.

वर्ल्ड बैंक ने आगाह किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और कई दूसरी वजहों से अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है. हालत अगर और खराब हुए, तो वो अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकते हैं. 2023 के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार पहले अनुमानित 3% से घटकर 1.7% रहने की आशंका है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर रहेगी. 

गुड्स ट्रेड डेफिसिट दोगुने से ज्यादा हुआ
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2022-23 के पहले छह महीने में भारत में निजी उपभोग (Private Consumption) अच्छा रहा. अर्थव्यवस्था में निवेश भी बेहतर हुआ. हालांकि, अंतराष्ट्रीय व्यापार में उथल-पुथल की वजह से भारत का गुड्स ट्रेड डेफिसिट ( Goods Trade Deficit) यानी माल व्यापार घाटा 2019 के बाद दोगुना से ज्यादा बढ़ गया है.

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केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'ये सरकार की भारत को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने की रणनीति का नतीजा है. हमने उद्योग और व्यापार को आगे बढ़ाया है. इसलिए हम आज दुनिया में विकाशशील देशों में अव्वल आये हैं".

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निर्यात और निवेश पर होगा असर
बयान में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती अनिश्चितता का निर्यात और निवेश वृद्धि पर असर पड़ेगा. सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च और कारोबार के लिए सुविधाओं पर खर्च बढ़ाया है. हालांकि, यह इससे निजी निवेश जुटाने में मदद मिलेगी और विनिर्माण क्षमता के विस्तार को समर्थन मिलेगा.

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व्यापार घाटा बढ़ा
साल 2019 के बाद भारत का वस्तुओं का व्यापार घाटा दोगुना से अधिक हो गया है. यह नवंबर में 24 अरब डॉलर था. कच्चे पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों (7.6 अरब डॉलर) और अन्य वस्तुओं मसलन अयस्क और खनिज मामले में इसके 4.2 अरब डॉलर रहने के कारण व्यापार घाटा बढ़ा है.

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